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लखनऊ

उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के होश आते ही सुप्रीम कोर्ट का आया बड़ा आदेश, एम्स में होगा यह

उन्नाव दुष्कर्म मामले में दिल्ली के एम्स अस्तपाल में भर्ती पीड़िता को आखिरकार होश आ गया और उसने सीधे विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर रायबरेली में हुए हादसे की साजिश रचने का आरोप लगाया।

लखनऊSep 06, 2019 / 05:59 pm

Abhishek Gupta

Unnao rape case

Unnao rape case

लखनऊ. उन्नाव दुष्कर्म (Unnao Rape case) मामले में दिल्ली के एम्स (AIIMS) अस्तपाल में भर्ती पीड़िता को आखिरकार होश आ गया और उसने सीधे विधायक कुलदीप सिंह सेंगर (Kuldeep Singh Sengar) पर रायबरेली (Raebareli) में हुए हादसे की साजिश रचने का आरोप लगाया। पीड़िता ने साफ तौर पर सीबीआई (CBI) को बताया कि कैसे उसकी हत्या करने के लिए ट्रक ने सीधे उसकी कार की ओर आकर जोरदार टक्कर मारी। पीड़िता ने हादसे से पूर्व सेंगर के गुर्गों द्वारा उसे धमकाने की बात भी कही। उधर मामले की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सीबीआई (CBI) को रायबरेली (Raebareli) सड़क हादसे की जांच पूरी करने के लिए दो और हफ्ते का वक्त दिया है। साथ ही निचली अदालत को बताया है कि ट्रायल पूरे करने के लिए वो समय सीमा बढ़ाने की मांग कर सकती है। इसके अलावा एम्स अस्पताल में ही पीड़िता के लिए स्पेशल कोर्ट भी लगाई जा सकती है।
पीड़िता का दर्ज हुआ बयान-
सीबीआई (CBI) ने एम्स (AIIMS) में एडमिट पीड़िता का बयान दर्ज किया था। पीड़िता ने बताया कि मैंने देखा एक ट्रक ने सीधे हमारी ओर आकर कार को रौंद दिया। पीड़िता ने सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि सेंगर ने ही ऐक्सिडेंट में मुझे मारने की साजिश रची थी। वह जेल में बैठे-बैठे ही सब-कुछ कर सकता है। मुझे बहुत दर्द हो रहा है, मैं चलने में असमर्थ हूं। साथ ही बताया कि ऐक्सिडेंट से पूर्व सेंगर का एक गुर्गा उन्नाव कोर्ट परिसर में आकर अक्सर जान से मारने की धमकी देता था।
Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट ने दिए बड़े आदेश-
वहीं रायबरेली सड़क हादसे की जांच पूरी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को दो और हफ्ते का समय दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर मामले निचली अदालत के जज ,जो इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं, अगर वो 45 दिनों में ट्रॉयल पूरा करने की सीमा को बढ़ाना चाहते है, तो वो कोर्ट को बता सकते हैं। कोर्ट ने शुक्रवार के यह संकेत दिए हैं कि इस मामले की सुनवाई 45 दिनों के भीतर पूरा करने की डेडलाइन को वो बढ़ा सकते है।एम्स में अस्थाई कोर्ट को करे सेटअ- यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा है कि वह निचली अदालत द्वारा पीड़िता के बयान को दर्ज करने के लिए दिल्ली के एम्स में अस्थाई कोर्ट को सेटअप करने की व्यवस्था करे। मामले की जांच में देरी हो सकती है। यह देरी दस दिन की हो तो कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन तकनीकी आधार पर कोई भी बरी नहीं होना चाहिए।
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