वह दबंग परिवार से था। मुझमें और मेरे परिवार में इतनी हिम्मत नहीं थी कि उसका विरोध करते। इसलिए डर कर अपना गांव छोड़ दिया। भागकर अपने एक रिश्तेदार के यहां रहने रायबरेली आ गयी। लेकिन, उसने यहां भी पीछा नहीं छोड़ा। एक दिन अपने कुछ साथियों के साथ उसने मुझे अकेले में घेर लिया। मेरे साथ गैंगरेप किया और उसका वीडियो बना लिया। इस ज्यादती के खिलाफ जब थाने में रिपोर्ट लिखानी चाही तो हमें भगा दिया गया। मैं इस थाने से उस थाने दौड़ते रही। अंतत: कोर्ट की शरण लेनी पड़ी। न्यायालय ने आदेश दिया तब मुकदमा लिखा गया। लंबी लड़ाई के बाद बलात्कार का आरोपी जेल भेजा गया। लेकिन, लंबी पहुंच होने के कारण वह जल्द ही जमानत पर रिहा होकर गांव आ गया। गांव आते ही उसने फिर धमकाना शुरू कर दिया। आए दिन वह पूरे परिवार को बर्बाद करने की धमकी देता। मेरा घर से निकलना दूभर हो गया। मैं और मेरा परिवार छिप-छिपकर गांव में रह रहे थे।
एक दिन बलात्कारी युवक और और उसके परिवारी जन घर आए और मुकदमा वापस लेने का दबाव डालने लगे। मना किया तो परिवार को तबाह करने की धमकी देकर चले गए। एक दिन अल सुबह जब इस मामले के सिलसिले में मैं रायबरेली कोर्ट जा रही तभी अंधेरे का फायदा उठाकर पांच दंबगों ने मुझपर केरोसिन छिडकऱ जला दिया। मैं चीखी चिल्लाई। आग का गोला बनकर तकरीबन एक किमी दौड़ी। लेकिन, कोई बचाने नहीं आया। किसी से मोबाइल मांगा। एंबुलेस बुलाई। मुझे अस्पताल पहुंचाया गया। पता चला मेरा शरीर 90 प्रतिशत जल चुका है। दिल्ली लायी गयी। बेइंतहा दर्द,तड़पन और असहनीय पीड़ा। शरीर बेजान। लगा अब जीने से क्या फायदा। जीकर भी क्या करूंगी। न रूप न रंग। न लडऩे की ताकत। थक गयी हूं। व्यवस्था से हार गयी हूं। इसलिए यह दुनिया छोडकऱ जा रही हूं। इस एक मांग के साथ कि मुझे न्याय जरूर मिले। मेरी अस्मत लूटने वालों को बख्शा न जाए।
मैं जानती हूं मेरी मौत के बाद सियासी घमासान मचेगा। लोगों में गम और गुस्सा होगा। मेरा छोटा सा गांव राजनीति का अखाड़ा बनेगा। धूल भरी टेड़ी मेढ़ी पगडंडियों पर कुछ दिनों तक मंहगी गाडिय़ां फर्राटा भरेगीं। मिट्टी, फूस और खपरैल का बना मेरा कच्चा घर कुछ दिनों के लिए वीआइपी मेहमानों का अड्डा बनेगा। मेरे घर वालों ने कहा है-वह मेरे शव को न जलाएंगे न बहाएंगे, धरती मैया की गोद में दफनाएंगे। शायद, मुझ गरीब और लाचार बेटी की यही नियति है। लेकिन, मेरे नाम पर आंसू बहाने वालों अन्य मामलों की तरह मेरे मामले को भी दफन न होने देना। इंसाफ के लिए मोमबत्तियां और मशाल जलाने वालों- रोशनी की लौ जलने के बाद चुपचाप न बैठ जाना। दरिंदों को कड़ी से कड़ी सजा जरूर दिलाना तभी मेरे साथ न्याय होगा। तभी मेरी आत्मा को शांति मिलेगी। अलविदा।