शासन को सौंपी रिपोर्ट विश्वविद्यालयों की ओर से शुल्क वृद्धि का प्रस्ताव समिति को दिया गया। इस पर चर्चा के बाद शासन को समिति ने रिपोर्ट सौंपी। विशेष सचिव मनोज कुमार ने रिपोर्ट के आधार पर सभी राज्य विश्वविद्यालयों में एक समान परीक्षा फीस किए जाने की बात कही गई।
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6 घंटे में पहुंचेंगे चित्रकूट से दिल्ली, पीएम Modi ने किया बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे का उद्घाटन, जानें खास बातें परीक्षा परिणाम तैयार करने में दोगुना खर्च रिपोर्ट में कहा गया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के कारण सभी स्नातक व परास्नातक पाठ्यक्रमों की परीक्षाओं को विषम व सेमेस्टर के क्रम में कम से कम वर्ष में दो बार कराया जाएगा। समिति की ओर से कहा गया कि विश्वविद्यालय की परीक्षाओं के लिए पेपर सेटिंग, पेपर प्रिंटिंग, उत्तर पुस्तिकाओं की प्रिंटिंग, प्रायोगिक परीक्षाएं, उड़ाका दलों का संचालन, उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन, परीक्षकों के पारिश्रमिक का भुगतान और परीक्षा परिणाम तैयार करने में दोगुना खर्च आएगा। विश्वविद्यालय की आय का मुख्य स्रोत परीक्षा शुल्क है, जिसका अधिकांश हिस्सा परीक्षा संबंधी खर्चों पर व्यय होता है।
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ICSE Result: 10वीं के नतीजों में यूपी का दबदबा, 3 बच्चों को मिले 500 में से 499 अंक, लखनऊ की कनिष्का मित्तल बनीं नेशनल टॉपर अधिनियम 1973 के तहत विश्वविद्यालयों में परीक्षा शुल्क अलग-अलग विशेष सचिव मनोज कुमार की ओर से जारी आदेश में कहा गया कि उच्च शिक्षा विभाग में उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालयों अधिनियम 1973 के तहत स्थापित विश्वविद्यालयों में परीक्षा शुल्क अलग-अलग है। अलग-अलग विश्वविद्यालयों के छात्रों का एक ही मद में अलग भुगतान सही नहीं है। इसलिए सभी राज्य विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रमवार परीक्षा अब समान कर दिया गया है।