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लखनऊ

शिक्षकों का फर्जीवाड़ा रोकने के लिए उच्च शिक्षा विभाग ने मांगी शासन से मदद

उच्च शिक्षा विभाग ने वित्तविहीन डिग्री कॉलेजों में शिक्षकों के अनुमोदन में हो रहे फर्जीवाड़े पर रोक लगाने के लिए शासन से मदद मांगी है।

लखनऊOct 09, 2017 / 10:06 pm

Prashant Srivastava

dinesh sharma
लखनऊ. उच्च शिक्षा विभाग ने वित्तविहीन डिग्री कॉलेजों में शिक्षकों के अनुमोदन में हो रहे फर्जीवाड़े पर रोक लगाने के लिए शासन से मदद मांगी है। उच्च शिक्षा निदेशक की तरफ से संयुक्त शिक्षा निदेशक डॉ. प्रीति गौतम ने शासन को लिखे पत्र में इस मामले को उनके स्तर का बताया है। कहा, शासन ही इस मामले में कार्यवाही करे। बीते दिनों उच्च शिक्षा उत्थान समिति ने जनसुनवाई पोर्टल पर निजी डिग्री कॉलेजों द्वारा शिक्षकों के शोषण का मुद्दा उठाया था।
बता दें कि उच्च शिक्षा उत्थान समिति के अध्यक्ष जेपी सिंह ने वित्तविहीन डिग्री कॉलेजों की मनमानी, शिक्षकों के अनुमोदन में फर्जीवाड़े, शिक्षकों की सेवा नियमावली बनाने व अन्य मांगों को लेकर आठ सितंबर से अनशन की शुरुआत की थी।इसके बाद उच्च शिक्षा मंत्री और उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने जेपी सिंह को एक महीने में उनकी मांग पर कार्यवाही करने का आश्वासन देकर अनशन समाप्त कराया था। इसके बावजूद भी हालात नहीं सुधरे।
सबसे बड़ा कारण इस मामले में भौतिक सत्यापन न होने का माना जा रहा है। भौतिक सत्यापन न होने की वजह से यह कभी पता ही नहीं चल पाता कि कॉलेज में पढ़ाने वाले शिक्षक असल में यूनिवर्सिटी से अनुमोदित हैं या नहीं। इस मामले में शासन ने उच्च शिक्षा विभाग को निजी कॉलेज के शिक्षकों के सत्यापन, आधार से लिंक करने व उनकी सेवा नियमावली बनाने के निर्देश दिए थे।इसके बाद उच्च शिक्षा विभाग की सहायक निदेशक डॉ. विनीता यादव ने शिक्षकों व प्राचार्य के भौतिक सत्यापन का आदेश जारी किया था। यह कार्य 15 जुलाई तक पूरा किया जाना था लेकिन अंतिम तिथि बीतने के बाद भी शिक्षकों के भौतिक सत्यापन का खाका तक नहीं खींचा गया।
इसके बाद भी कई पत्र जारी हुए लेकिन न तो शिक्षकों का भौतिक सत्यापन हुआ और ना ही शिक्षकों की सेवा नियमावली बनाने की शुरुआत ही हुई। अब आखिर में मामला शासन के ऊपर डाल दिया गया है। मगर नया सत्र शुरू हुए कई महीने बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक ब्योरा ऑनलाइन नहीं हो सका है। अब सभी कॉलेजों को उनके यहां का ब्योरा उनकी वेबसाइट पर डालने का निर्देश दिया गया है। ऐसा न करने पर उनकी किसी भी फाइल पर विचार न करने की बात कही गई है।

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