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- डॉ. धर्मेन्द्र भटनागर
वैश्विक महामारी कोविड-19 के संकट काल में केंद्र सरकार द्वारा लागू देशव्यापी लॉकडाउन विश्व के इतिहास में सबसे बड़ा सरकारी लॉकडाउन है । इस लॉकडाउन में महामारी रोग अधिनियम 1897, संबंधित ऑर्डिनेंस, आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 आदि कानूनों के प्रावधानों का उपयोग कर आमजन पर कई प्रतिबंध लगाए गए हैं ताकि कोरोना संक्रमण नियंत्रित रहे। कोरोना वायरस के संकट के दौरान जहां संक्रमण के बहुत फैल जाने से हॉट स्पॉट बन गए हैं वहां कर्फ्यू आदेश लागू किए जा रहे हैं। नागरिकों के जीवन की रक्षा करना सरकार का सर्वोपरि दायित्व है। ठीक ही कहा गया है -"जान है तो जहान है"। यही नहीं लोगों के स्वास्थ्य तथा क्षेम को खतरों से बचाना अत्यावश्यक है। सही कथन है कि "पहला सुख निरोगी काया"।
दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 के अध्याय 10 ग - में धारा 144 न्यूसेंस या आशंकित खतरे के अर्जेंट मामलों में आदेश जारी करने की असाधारण शक्ति का प्रावधान करती है। इस धारा के तहत कर्फ्यू लगाया जाता है।
कर्फ्यू के संबंध में निम्न बिंदु उल्लेखनीय हैं
कर्फ्यू शब्द का उल्लेख दंड प्रक्रिया संहिता में कहीं नहीं है। यह शब्द डिक्शनरी से लिया गया है एवं मीडिया की देन है। जहां कर्फ्यू लगाया जाता है वहां के निवासियों को अपने घर से बाहर निकलना प्रतिबंधित कर दिया जाता है।
1. कर्फ्यू लगाने के आधार
कोरोना के परिप्रेक्ष्य में मानव जीवन स्वास्थ्य या क्षेम को आसन्न खतरे के अर्जेंट मामले में निवारण हेतु कर्फ्यू लगाया जाता है।
2. किसके पास है कर्फ्यू लगाने का अधिकार
कर्फ्यू आदेश जारी करने के लिए सक्षम अधिकारी जिला मजिस्ट्रेट/ अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट पूरे जिले में या उसके किसी भाग या थाना क्षेत्र में कर्फ्यू लगा सकेंगे। उपखंड मजिस्ट्रेट पूरे उपखंड में या उसके किसी भाग या थाना क्षेत्र में कर्फ्यू लगा सकेंगे राज्य सरकार द्वारा इस हेतु सशक्त कोई कार्य पालक मजिस्ट्रेट अपने क्षेत्राधिकार में कर्फ्यू लगा सकेगा। पुलिस आयुक्त/अपर पुलिस आयुक्त पूरे पुलिस आयुक्तालय क्षेत्र या उसके किसी क्षेत्र या थाना क्षेत्र में कर्फ्यू लगा सकेंगे। पुलिस उपायुक्त - अपने पूरे क्षेत्राधिकार में या किसी थाना क्षेत्र या अन्य क्षेत्र में कर्फ्यू लगा सकेंगे।
3. कर्फ्यू लगाने की पुरोभाव्य शर्त
कर्फ्यू लगाने की पुरोभाव शर्त यह है कि ऐसी विकट परिस्थितियां विद्यमान हों जिनमें तत्काल कार्रवाई करना अत्यावश्यक हो।
4. मामले में सारभूत तत्वों से संतुष्टि
कर्फ्यू लगाने वाले मजिस्ट्रेट/पुलिस आयुक्त को मामले के सारभूत तत्वों से संतुष्ट होना आवश्यक है। उसे कर्फ्यू के लिखित आदेश में इनका उल्लेख अवश्य करना चाहिए। इसमें केंद्र सरकार या राज्य सरकार के कोरोनावायरस संबंधी निर्णयों आदेशों, निर्देशों वह मार्गदर्शक सिद्धांतों आदि का हवाला दिया जाना चाहिए।
5. आदेश एकपक्षीय हो सकेगा
कर्फ्यू आदेश आपात की दशाओं में ऐसी परिस्थितियों में जहां नोटिस की तामील की गुंजाइश नहीं हो एकपक्षीय जारी किया जा सकेगा। उल्लेखनीय है कि यह प्रक्रिया प्राकृतिक न्याय के उस सिद्धांत का अपवाद है- जिसके तहत प्रभावित पक्षकार को आदेश से पहले नोटिस देकर अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाता है। कर्फ्यू आदेश की तामील/सूचना संबंधित जनसमूह तक तामील कर, सूचनापट्ट पर लगाकर, मीडिया व सार्वजनिक प्रचार तंत्र द्वारा त्वरित रूप से दी जाती है ताकि उसकी तत्काल पालना सुनिश्चित की जा सके। क्रमश: (अगले अंक में भी पढ़ें)
Published on:
19 May 2020 02:44 pm
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