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ऑनलाइन फ्रॉड: इन ऐप्स की आड़ में होती है ठगी, ऐसे बचाएं खुद को

आजकल ऑनलाइन ठगी के कई तरीके भी ठगों की ओर से इस्तेमाल किए जा रहे हैं। उनमें से एक है रिमोट डिवाइस एक्सेस मेथड (दूरस्थ युक्ति प्रवेश का तरीका)। जानिए कैसे होता है ये फ्रॉड-

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जयपुर

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Sunil Sharma

Jun 09, 2020

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मैलवेयर या रैंसमवेयर के जरिए मोबाइल/ कम्प्यूटर से व्यक्तिगत जानकारी चुराकर उसके साथ ठगी की जाती है। तमाम तरह के बैंकिंग फ्रॉड एवं ठगी इनके माध्यम से ही की जाती है लेकिन आजकल ऑनलाइन ठगी के कई अन्य तरीके भी ठगों की ओर से इस्तेमाल किए जा रहे हैं। उनमें से एक है रिमोट डिवाइस एक्सेस मेथड (दूरस्थ युक्ति प्रवेश का तरीका)। जानिए कैसे होता है ये फ्रॉड-

इन ऐप्स के जरिए होता है फ्रॉड
टीम व्यूअर एवं ऐनी डेस्क, रिमोट डिवाइस कंट्रोल ऐप हैं जिन्हें आइटी एक्सपट्र्स डिवाइस को रिमोटली एक्सेस करके तकनीकी खामियों को दूर करने के लिए प्रयोग करते हैं। ये ऐप रिमोट साइट से कार्य करते हैं। इन टूल्स अथवा ऐप्स की मदद से आप दूरस्थ उपकरणों को नियंत्रित कर सकते है। जब भी हम कोई कोई ऐप जैसे वाट्सऐप या ऐनी डेस्क डाउनलोड करते है तो बिना सोचे समझे ओके बटन दबाते चले जाते हैं और इस तरह से हम हमारी डिवाइस मोबाइल का पूर्णत: एक्सेस उस ऐप को दे देते हैं। हमेशा ठगी आपके बैंक के ग्राहक सेवा अधिकारी या पेटीएम, यूपीआइ, ईकेवाइसी के एग्जीक्यूटिव अथवा कार्यकारी अधिकारी का दावा करने वाले किसी जालसाज के फोन कॉल से शुरू होती है।

ठगी का पूरा प्रोसेस
जालसाज अथवा नकली एग्जीक्यूटिव आपको फोन कॉल करता है। इसके बाद वह आपके नाम, जन्म तिथि, मोबाइल नंबर जैसे विवरणों को सत्यापित कर विश्वास दिलाने का प्रयास करता है कि वह असली बैंककर्मी या एग्जीक्यूटिव है। उसका एक मात्र उदेश्य आपको विश्वास में लेकर आपके मोबाइल टीम व्यूअर या ऐनी डेस्क जैसे ऐप को इंस्टॉल करवाना होता है। ऐप डाउनलोड होने पर डिवाइस एक्सेस की अनुमति पूछता है परमिशन देते ही पासवर्ड सहित आपकी सारी डिटेल्स उनके पास चली जाती हैं।

सावधानी क्या रखें
ध्यान रखें कभी भी कोई बैंक या एजेंसी फोन पर आपकी व्यक्तिगत सूचना नहीं पूछती है इसलिए किसी धोखे में आकर अपनी व्यक्तिगत सूचना किसी के साथ शेयर न करें। समय-समय पर लॉगिन आइडी, पासवर्ड बदलते रहें।