19 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

शुरुआती उद्यमियों के लिए क्राउडफंडिंग

'क्राउडफंडिंग' से विश्वभर से समर्थ खरीदार व विक्रेताओं को इंटरनेट के माध्यम से एक मंच पर लाकर शुरुआती उद्यमियों की पूंजी की सबसे बड़ी समस्या हल की जा सकती है

3 min read
Google source verification

image

Sunil Sharma

Jan 05, 2016

Industrial Production

Industrial Production

'क्राउडफंडिंग' से विश्वभर से समर्थ खरीदार और विक्रेताओं को इंटरनेट के माध्यम से एक मंच पर लाकर शुरुआती उद्यमियों की पूंजी की सबसे बड़ी समस्या हल की जा सकती है।

स्टार्टअप एंटरप्रेन्योर के सामने अक्सर समस्या अपने प्रोजेक्ट के लिए पूंजी की आती है, क्योंकि अधिकांश बैंक और निवेशक नौसिखियों को पैसा देने का जोखिम नहीं उठाते। उनके सामने दूसरी मुख्य चुनौती उनकी आशंका है कि उनके उत्पाद और सेवाएं खरीदारों को पसंद आएंगे या नहीं, या वे जो ऑफर कर रहे हैं, उसके लिए पर्याप्त ग्राहक हैं या नहीं, और अंत में, उन ऑफर्स की सही कीमत क्या होगी।

इन चुनौतियों से निपटने के लिए स्टार्टअप एंटरप्रेन्योर्स का अमरीकी समुदाय 'क्राउडफंडिंग' (वेबसाइट के माध्यम से धन इकट्ठा करना) की अवधारणा के साथ आगे आया है ताकि विश्वभर से समर्थ खरीदार और विक्रेताओं को इंटरनेट के माध्यम से एक मंच पर लाया जा सके। आइए, एक सरल उदाहरण से क्राउडफंडिंग की प्रक्रिया को समझें।

रजत युवा इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर है, जिसे दो साल का अनुभव है। उसमें एक ऐसी घड़ी बनाने का कौशल है, जिसका इस्तेमाल स्मार्ट फोन की तरह किया जा सकता है। उसके प्रोडक्ट का डिजाइन तैयार है और उसमें इस प्रोडक्ट को बनाने की तकनीकी दक्षता भी है, लेकिन जिन समस्याओं का वह सामना कर रहा है, वे हैं अपनी फैक्ट्री लगाने के लिए शुरुआती पूंजी, काबिल मैनपावर और रॉ मैटेरियल।



शुरुआती एक लाख वॉचेज बेचने के लिए उन्हें अनुमानत: 20 करोड़ रुपयों की प्रारंभिक पूंजी की दरकार थी, जिसका मतलब था कि एक वॉच की कीमत कम से कम दो हजार रुपए होनी चाहिए। लेकिन वॉच की वास्तविक कीमत पांच हजार रुपए है, और वह जैसे ही प्रारंभिक पूजी इकट्ठा होती है, उसी हिसाब से बेचने की योजना बना रहा है।


अब बात साफ है। वह किसी भी क्राउडफंडिंग एजेंसी से अपने तकनीकी डिजाइन और उत्पाद के मुनाफे के साथ सम्पर्क कर सकता है। यह निहायत ही जरूरी है कि क्राउडफंडिंग एजेंसियां उसके आइडिया को पसंद करें। जैसे ही उसके उत्पाद को स्वीकृति मिलती है, उसका प्रोडक्ट वेबसाइट पर सूचीबद्ध किया जाता है और विश्वभर से लोग उसकी स्मार्ट वॉच को बनाने से पहले खरीदना शुरू कर देंगे।


जैसे ही लोगों से एक लाख का भुगतान मिल जाता है, ऑफर को बंद कर दिया जाता है और पूर्व घोषित समय पर केवल उन ग्राहकों को स्मार्ट वॉच पहुंचा दी जाती है, जो पहले दो हजार रुपए का भुगतान कर चुके हैं, लेकिन यदि कोई नया व्यक्ति वॉच खरीदना चाहेगा तो उसे उसकी वास्तविक कीमत पांच हजार रुपए का ही भुगतान करना होगा। इसमें यह जोखिम है कि शुरुआती भुगतान में प्रोडक्ट विफल रह जाए या कुछ और बात हो जाए और अपेक्षित ऑॅफरिंग्स नहीं मिले। उस स्थिति में लगाई पूंजी भी नहीं मिल पाती, फिर भी खरीदने की एक अच्छी वजह है। ऐसे लोग भी हैं, जो जोखिम लेने को तैयार हैं, क्योंकि पांच हजार की वॉच महज दो हजार में मिल जाती है।


पूंजी का मुद्दा हल हो गया, ग्राहकों ने पूरे प्रोजेक्ट को अपना योगदान किया और वे वेबसाइट से खरीदने वाले ग्राहक बन गए। प्रारंभिक रुचि बनाने का दूसरा मुद्दा भी हल हो गया, क्योंकि जो सच में रुचि ले रहे हैं, वे अग्रिम भुगतान करेंगे, और तीसरा, वेबसाइट पर शुरुआती पूंजी इकट्ठा होने से सही कीमत लेने का मुद्दा हल हो गया।


भारत में निश्चित तौर पर काफी संख्या में ऐसे काबिल लोग हैं, जो लीक से हटकर उद्यम के क्षेत्र में आना चाहते हैं। उनके लिए 'क्राउडफंडिंग' उपयोगी हो सकता है।

(ये लेखक के अपने विचार हैं)


-
आनंद मुंशी
, मोटिवेशनल स्पीकर और मैनेजमेंट गुरु



ये भी पढ़ें

image