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फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मारिन दुनिया की सबसे युवा प्रधानमंत्री हैं। अभी अंतरराष्ट्रीय मीडिया में एक खबर आई कि सना फिनलैंड में चार दिन का वर्किंग वीक तय करने की प्लानिंग कर रही हैं, लेकिन इस खबर का खंडन हुआ और यह फेक न्यूज निकली। इस बहाने कम कामकाजी घंटों की चर्चा एक बार फिर हो रही है।
और देश भी हैं सहमत
स्वीडन ने कुछ सालों पहले छह घंटे के कामकाजी दिन का परीक्षण किया। यूके की लेबर पार्टी ने घोषणा की थी कि अगर वह चुनावों में जीतती है तो 32 घंटे के वर्किंग आवर्स लेकर आएगी। फ्रांस में स्टैंडर्ड वर्किंग वीक 35 घंटे का होता है। भारत जैसे देश में जहां काम की स्थितियां ज्यादा अच्छी नहीं हैं, वहां पर कामकाजी घंटों की संख्या कम करके एम्प्लॉइज को राहत दी जा सकती है।
छोटी कंपनियों का प्रयोग
न्यूजीलैंड में एक फर्म पर्पेचुअल गार्जियन सप्ताह में चार दिन काम करने का प्रयोग कर चुकी है। आयरलैंड का आइसीई ग्रुप भी सप्ताह में सिर्फ चार दिन काम करता है। कंपनी ने पाया कि चार दिन का वर्किंग वीक तय करने के बाद लोगों की आदतों में बदलाव देखा गया। काम के दौरान लोगों ने कम ब्रेक्स लिए व सोशल मीडिया को इग्नोर करना शुरू कर दिया।
कई कंपनियां पक्ष में
छोटी फम्र्स के अलावा कुछ बड़ी कंपनियां भी चार दिन के वर्क वीक के पक्ष में हैं। माइक्रोसॉफ्ट जापान ने कुछ दिनों पहले ही चार दिनों का वर्क वीक लागू किया। कंपनी का कहना है कि इसके बाद एम्प्लॉइज की प्रोडक्टिविटी में 40 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। कंपनी की यह पॉलिसी खासतौर पर युवाओं को पसंद आ रही है।
रिजल्ट पर हो ध्यान
हालांकि वर्क वीक में चार दिन काम करने पर एम्प्लॉइज की प्रोडक्टिविटी में इजाफा दर्ज किया गया, पर इसे लागू करते समय कई बातों पर ध्यान रखने की जरूरत महसूस हुई। कंपनियों को इस तरह के इनोवेशन को चरणबद्ध तरीके से लागू करना चाहिए। इसके साथ ही इसके रिजल्ट्स पर गौर करना चाहिए। अगर बतौर टीम लीडर ऐसा प्रयोग करते हैं तो टीम को टारगेट व रिजल्ट पर फोकस करने के लिए कहना चाहिए। लीडर को टीम में भरोसा होना
Published on:
19 Jan 2020 12:00 pm
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