देव उठनी एकादशी से शुरु मांगलिक कार्य
मंडला•Nov 09, 2019 / 05:56 pm•
Sawan Singh Thakur
तुलसी विवाह के लए घर आंगन में सजा मंडप
मंडला। कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष को मनाई जाने वाली देव प्रबोधनी एकादशी 8 नवंबर की रात को भव्यता के साथ मनाई गई। मान्यताओं के अनुसार, चार महीनों की नींद के बाद उठे भगवान विष्णु की पूजा अर्चना और तुलसी के विवाह के लिए गन्ने का भव्य मंडप सजाया गया। अधिकांश घरों के आंगन और बरामदे में परिवार की गृहणियों ने मंडप सजाकर उसे रंगोली-दीपक आदि से सजाया। इसके साथ ही शुरु हुआ एकादशी पूजन। जानकारी के अनुसार, एकादशी पर अगर कुछ अनुष्ठान अथवा विष्णु-तुलसी विवाह किया जाए तो भगवान विष्णु का आशीर्वाद जरूर प्राप्त होता है। इसलिए अधिकांश घरों में पूजन कार्य संपन्न किए गए। ङ्क्षहदू धर्म के शास्त्रों में पीपल के पेड़ में देवताओं का निवास स्थान होता है। यही कारण है कि भगवान को प्रसन्न करने के लिए और उनका आशीर्वाद पाने के लिए एकादशी पर पीपल वृक्ष के नीचे घी का दीपक भी जलाया गया। लोगों ने कल संध्या होते ही घर के हर एक हिस्से में दीपक जलाया। पंडित विजेन्द्र पाठक के अनुसार ऐसा करने से भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी का भी आशीर्वाद मिलता है जिसके कारण से घर में कभी धन की कमी नहीं होती।
एकादशी पर पूजन के लिए जिला मुख्यालय स्थित उदय चौक, लालीपुर, नेहरूस्मारक, अग्रसेन चौक, बिझिंया तिराहा आदि स्थानो में गन्ने का बाजार सजाया गया। आसपास के गांव नारा, दिवारा, गंगोरा, रामनगर, हिरदेनगर सहित लगभग 15 गांव के किसान यहां गन्न विक्रय के लिए पहुंचे। पूरा क्षेत्र गन्नों से अट गया। जिन किसानों को यहां जगह नहीं मिली। ग्राहकों को लुभाने के लिए किसानों ने अपनी दुकानों को गन्ने के मंडपों से ही सजाया। पांच गन्नों के एक मंडप की कीमत 100 रुपए से 120 रुपए तक रखी गई। पांच गन्नो से बनाए गए मंडपों को खरीदने के लिए दोपहर तक बाजार में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। शाम सात बजे तक बाजार से हजारों की संख्या में गन्ने बिक गए। कुछ ही किसान ऐसे थे, जिन्हें अपने साथ लाए गए गन्नों को वापस ले जाना पड़ा हो।