पिछले 2 वर्षों में मानसून जून के दूसरे पखवाड़े में क्षेत्र के कई हिस्सों में पहुंच गया था, तथा बोवनी लायक बारिश हो जाने से बीजों की बुआई कर ली गई थी। बीच का अंकुरण भी अपेक्षित हुआ था। मानसून की रूक-रूककर हुई बारिश से किसानों ने बुआई कार्य संपन्न कर लिया था। किसान इस वर्ष भी मानसून से यही अपक्षाएं लेकर बारिश की राह ताक रहा है। वैसे समूचे जिले में सभी किसानों के पास स्थाई सिंचाई के संसाधन नहीं है। सिंचाई वाले क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता से फसलों का उत्पादन लेने में किसान सफलता हासिल कर लेगा। वहीं सिंचाई के साधन विहीन क्षेत्र के किसान ये सब करने में नाकामयाब हो जाएंगे।
मानसून के आने के पूर्व खेत की जुताई व अन्य तैयारियों के साथ बीज की व्यवस्था भी करना किसान के लिए बड़ी चुनौती बनती जा रही है। शासन के पास बेहतर किस्म के बीज का टोटा है। हालांकि प्रदेश शासन का बीज विकास निगम अब खरीफ के चुनिंदा बीजों को उत्पादन करवाकर अपनी औपचारिक जिम्मेदारी निभा रहा है। क्षेत्र में अप्रमाणिक बीज धड़ल्ले से बीज कंपनियां बीज विक्रेताओं के जरिये किसानों को थमा रही है।
किसान तैयार कर रहे खेत
जिले के किसान दो माह का आराम करने के बाद अब फिर से खेती किसानी में जुट गए हैं। कोई बखरोनी कर रहा है तो कोई अपने खेत में गोबार खाद पहुंचा रहा है। मानसून का समय नजदीक आते ही किसान दिन रात मेहनत करने में जुट गए हैं। वहीं किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग ने भी किसानो को ज्यादा से ज्यादा लाभ पहुंचाने के लिए योजना तैयार कर ली है। खरीफ की फसल के लिए लगभग दो लाख 24 हजार हेक्टेयर रकबा निर्धारित किया गया है। जिसके लिए किसानो को निर्धारित दामो में खाद बीज भी उपलब्ध करा रहे हैं। इसके अलावा किसानो से लायसेंस युक्त कृषि सामग्री विक्रय केन्द्रों से ही खाद बीज लेने की बात कही गई है।