एसपी को सौंपे ज्ञापन में बताया कि अभिभाषक ओझा के साथ २० जून को नारायणगढ़ कोर्ट जाते समय खोखरा घाटी कनघट्टी रोड पर कृषि भूमि को देखने गए थे। इसी दौरान पिपलियामंडी के भूमाफियाओं द्वारा एकजुट होकर उन पर प्राणघातक हमला कर दिया। जिससे वह गंभीर रुप से घायल हो गए और उन्हें उदयपुर रैफर किया गया। पुलिस द्वारा हमलावारों का सहयोग करते हुए ओझा और उनके दो पुत्रों के विरुद्ध झूठा प्रकरण दर्ज किया। पुलिस ने घटना के पहले व बाद में हमलावारों का सहयोग किया और गंभीर घायल अभिभाषक ओझा की मदद नहीं करते हुए उनके विरुद्ध प्रकरण दर्ज किया। और घटना के चश्मदीद जो ओझा के पक्षकार है। उनकी रिपोर्ट ही दर्ज नहीं की।
यह की मांग
एसपी को सौंपे ज्ञापन में मांग की है कि ओझा तथा उनके पुत्रों के विरुद्ध दर्ज किए गए प्रकरण को पुलिस तत्काल वापस ले। साथ ही ओझा पर हमला करने वाले आरोपियों के विरुद्ध धारा ३०७ में मामला दर्ज करें। साथ ही पिपलियामंडी टीआई और अन्य सहयोगी पुलिसकर्मियों को भी निलंबित करें। ज्ञापन में कहा कि संघ की मांगे नहीं मानी तो संघ द्वारा आगे की कार्रवाई की जाएगी। प्रदर्शन के दौरान पुलिस के रवैए को लेकर अभिभाषको ने जमकर नारेबाजी एसपी दफ्तर के बाहर की। अभिभाषकों की रैली के दौरान एसपी दफ्तर पर सीएसपी नरेंद्रसिंह सोलंकी, एसडीओपी भरतभूषण चौधरी सहित वायडी टीआई से लेकर अन्य पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया।