जीत हासिल करना नटराजन के लिए कड़ी चुनौती
वर्तमान में संसदीय क्षेत्रकी 8 में से मात्र 1 सीट पर कांग्रेस विधायक है। वह भी मात्र ३५० वोटों से जीते थे। २०१३ में भी इसी स्थिति के बाद नटराजन लोकसभा चुनाव लड़ी थी, लेकिन उस समय विधानसभा में भाजपा को सभी सीटों से बड़े अंतर की लीड मिली थी जो इस बार नहीं है। ऐसे में नटराजन को कम ही वोटों की खाई को पाटने की चुनौती है, लेकिन सभी सीटों पर मौजूद अलग-अलग नेताओं से जुड़े गुट व नेताओं से सांमजस्य बनाना भी उतनी ही बड़ी चुनौती है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्गिविजयसिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिधिंया से लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजयसिंह से जुड़े नेताओं के अलग-अलग गुट क्षेत्र की सभी सीटों पर अपना खासा प्रभाव रखते है। ऐसे में सभी को साधकर प्रचार कर चुनाव लडऩा कांगे्रस व नटराजन के लिए बड़ी चुनौती माना जा रहा है। एक बार भाजपा के डॉ. पांडेय को हराने के बाद नटराजन का दूसरी बार भाजपा के गुप्ता से लोकसभा चुनाव के मैदान में सामना होगा।
जानिए अपने कांग्रेस प्रत्याशी को…
नाम – मीनाक्षी नटराजन (कांग्रेस)
जन्म – २३ जुलाई १९७३
जन्मस्थान- बिरलाग्राम, नागदा, जिला- उज्जैन (मप्र)
पेशा- राजनीति
परिवार- माता- पिता, एक बहन
पिता- एआर नटराजन
माता- उमा नटराजन
राजनीतिक सफर-
वर्ष 1999से 2002 तक एनएसयूआई की प्रेसिंडेट रही। वे वर्ष २००२ से २००५ तक मप्र युवक कांग्रेस की अध्यक्ष रही। वे वर्ष-२००८ से एआईसीसी की सचिव रही। वर्ष-२००९ में मंदसौर संसदीय क्षेत्र से लोकसभा चुनाव करीब ३० हजार वोट से जीती है। उन्होंने भाजपा के दिग्गज नेता डॉ लक्ष्मीनारायण पांडे को पराजित किया है। और भाजपा के कब्जे वाली सीट पर जीत हासिल की। इसक ेबाद २०१४ के चुनाव में मोदी लहर में वह भाजपा के सुधीर गुप्ता से ३ लाख से अधिक मतों से हार गई। इसके बाद से संसदीय क्षेत्रकी राजनीति में लगातार सक्रिय है। परिवार से कोई राजनीति में नहीं है।
लो-प्रोफाइल लीडर होने से आमजनता में लोकप्रिय। साधारण व्यक्ति की तरह ही रहती है। वे छोटे से छोटे कार्यकर्ता का मान रखती है। वह आम व्यक्ति से भी आत्मीयता से मिलती है। कांग्रेस राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से नजदीकी रिश्ते होने से कांग्रेस में बेहद प्रभावी नेता। गांधी से जुड़ाव होने के साथ संगठन में लंबे समय से काम कर रही है।राष्ट्रीय राजनीति में गांधी से जुड़ाव के कारण नटराजन का खासा प्रभाव है। यहां तक की सप्ताह में एक दिन शनिवार को वह मौन व्रत रखती है।
मंदसौर संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस संगठन मजबूत नहीं है। हाल ही के विधानसभा चुनाव में 8 में से 7 सीटों पर कांग्रेस पराजित हुई है। तो गुटबाजी चरम पर है। विधानसभा चुनाव और इससे पहले पार्टी की गुटबाजी खुलेरुप से सडक़ों पर आई है। कांग्रेस के अन्य दिग्गज नेताओं के भी संसदीय क्षेत्र में गुट बने है और मजबूत टीमें है। जो नटराजन से कई मौको पर दूरी बनाए रखती है।
किसानों के उपज के उचित दाम, अफीम किसान और उद्योगों से लेकर रोजगार, रेलवे से लेकर सिंचाई योजना, मंडियों में नगद भुगतान से लेकर मंडियों में अव्यवस्था, ओवरब्रिज, अंडरब्रिज के अहम मुद्दें है।