ये है मामला दरअसल मामला महासमुंद से पांच किमी दूर गांव का है। जहां नाबालिग पीडि़ता कक्षा 7वीं की छात्रा है। नाबालिग की मां की मौत बचपन में हो चुकी थी। पिता दिव्यांग हैं। गांव के निवासी रमेश साहू नाबालिग को ट्यूशन पढ़ाने के बहाने घर पर बुलाता था। रात में नाबालिग से दुष्कर्म करता था। जुबान बंद रखने के लिए धमकाता था। नाबालिग जब गर्भवती हो गई तो उसने गर्भपात के लिए दवा भी दी। घर में मां नहीं होने पर नाबालिग डर के कारण किसी को यह जानकारी नहीं दी।
पिता ने की शिकायत पेट दर्द आैर उल्टी होने पर गांव के ही डाक्टर से दवा लेती थी। गर्भ के करीब छह महीने बाद गांव की ही मितानीन ने संदेह होने पर उसका परीक्षण कराया तो वह छह माह की गर्भवती थी। नाबालिग ने रमेश साहू से संबंध की बात स्वीकार कर ली। इस जानकारी पर दिव्यांग पिता परेशान हो गया। पिता की शिकायत के बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ कोतवाली में 20 अगस्त को 376, 456, 506, 2, 3, 5 एससी/एसटी व पास्को एक्ट के तहत अपराध दर्ज कर लिया।
दबाव के बाद आरोपी गिरफ्तार आरोपी की बहन आरक्षक है। बहन के दबाव में पुलिस आरोपी को दो माह से गिरफ्तार नहीं कर रही थी। पीडि़ता का पिता बेटी को लेकर मंगलवार को बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष शताब्दी पांडेय से रायपुर में मुलाकात की। आयोग की अध्यक्ष रायपुर से महासमुंद के लिए रवाना हो गईं। यहां पहुंचते ही पांडेय ने महिला बाल संरक्षण अधिकारी एवं पुलिस को फटकार लगाई। इसके बाद आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। वहीं नाबालिग को महिला बाल संरक्षण में रखा गया है।