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आखिर रुपए में गिरावट क्यों?
इक्विटी मार्केट में लगातार गिरावट देखने को मिल रही हैै। कोरोना वायरस और तमाम कारणों की वजह से विदेशी निवेशक लगातार अपना रुपया इंडियन इक्विटी मार्केट से निकालने में तुले हुए हैं। अगर बात बुधवार की ही करें तो 5000 करोड़ रुपए से ज्यादा रुपया इक्विटी मार्केट से निकाल लिया है। जिसका असर इंडियन करंसी में देखने को मिला है। केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया के अनुसार रुपए में गिरावट का दौर बीते कुछ दिनों से देखने को मिल रहा था। कोरोना वायरस के डर की वजह से विदेशी निवेशक लगातार बिकवाली कर रहे थे। वहीं इंडियन इकोनॉमी में लगातार गिरावट देखने को मिल रही थी। यही वजह है कि आज भारतीय में ऐतिहासिक गिरावट देखने को मिली है।
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रुपए के गिरने से आम जनता की जेब पर असर
1. विदेशी सामान होगा महंगा:- भारत कई तरह का सामान विदेशों से आयात करता है, विदेशी ब्रांड के कपड़े, जूते, मोबाइल फोन, ऑटो मोबाइल के पाट्र्स आदि जिसके दाम वो डॉलर में देता है। डॉलर बढ़ेगा तो भारत को इन सामान को मंगाने के लिए डॉलर के रूप ज्यादा खर्च करना होगा। जिसके बाद इनकी कीमतों में असर देखने को मिलेगा। जब भी रुपए के मुकाबले डॉलर में मजबूती देखने को मिलती है तो इन सामानों की कीमतों में इजाफा हो जाता है।
2. विदेश में पढ़ाई महंगी:- कई भारतीय स्टूडेंट्स विदेशों में पढ़ाई करने के जाते हैं। उनका रहना खाना पीना सब वहीं होता है। जिसके लिए वो डॉलर देते हैं। जो रुपया स्टूडेंट्स घर से मंगाते हैं उन्हें वो डॉलर में कंवर्ट करते हैं। ऐसे में ज्यादा रुपया देना होगा उसके बदले उन्हें डॉलर कम मिलेंगे। ऐसे में उन्हें विदेशों पढ़ाई के लिए फीस के साथ रहने खाने पीने के लिए ज्यादा खर्च करना होगा।
3. पेट्रोल और डीजल की कीमत पर असर:- भारत दुनिया के सबसे बड़े क्रूड ऑयल इंपोर्टर में से एक है। डॉलर की वैल्यू में इजाफा होने से देश के इंपोर्ट बिल में इजाफा होता है। जिसका असर स्थानीय स्तर पर पेट्रोल और डीजल की कीमत में देखने को मिलता है। बीते तीन दिनों से पेट्रोल और डीजल के दाम के स्थिर रहने की वजह डॉलर का रुपए के मुकाबले बढऩा भी है।
4. पब्लिक ट्रांसपोर्ट के फेयर पर पड़ता है असर:- डीजल के दाम में इजाफा होने के बाद पब्लिक ट्रांसपोर्ट के फेयर में इजाफा देखने को मिलता है। देश के सभी राज्यों में अभी सीएनजी के साथ डीजल बसें भी चल रही है। वहीं देश में अधिकतर रूट्स पर ट्रेन इलेक्ट्रिक नहीं डीजल संचालित ही हैं। डीजल के दाम में इजाफा होने से ट्रेनों और बसों का किराया काफी बढ़ जाता है।
5. आम आदमी के लिए बढ़ती है महंगाई:- देश में फल सब्जियां और काफी घरेलू सामानों को ट्रेनों, मालगाडिय़ों और ट्रकों के माध्यम से इधर से उधर ले जाया जाता है। हर सामान पर ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट भी लगती है। अगर डीजल महंगा होगा तो किराया बढ़ेगा, किराया बढ़ेगा तो किसी भी सामान को लाने और ले जाने पर लगने वाला ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट भी बढ़ जाएगा। जिसकी वजह से फल सब्जी के अलावा बाकी सामान महंगे होंगे और देश में महंगाई बढ़ेगी।