उल्लेखनीय है कि पिछले एमएलसी चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ अपने बेटे को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतारने के कारण भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया था।
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर वापस हुआ निष्कासन
पूर्व मंत्री यशवंत सिंह के निष्कासन के पीछे मुख्य वजह लोकसभा का चुनाव है क्योंकि यशवंत सिंह का आजमगढ़ और मऊ की राजनीति में पकड़ मानी जाती है विशेषकर राजपूत जाति में, ऐसे में भारतीय जनता पार्टी दोनों लोकसभा सीटों पर कोई भी रिस्क लेने को तैयार नहीं है जिसके चलते यशवंत सिंह का निलंबन वापस हुआ। ऐसा इसलिए माना जा रहा है कि यशवंत सिंह और उनके बेटे विक्रांत सिंह दोनों एमएलसी रहे फिर भी उनको भारतीय जनता पार्टी में वापस आने में 2 वर्ष का लंबा समय लगा। इस बीच मऊ की घोसी लोकसभा सीट पर उपचुनाव भी हुआ और स्थानीय निकाय का चुनाव भी संपन्न हुआ, इन दोनों चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। उसके बावजूद भी यशवंत सिंह और उनके बेटे एमएलसी विक्रांत सिंह रिशु का भाजपा में वापसी नहीं हुआ। अब लोकसभा चुनाव के बीच में यशवंत सिंह का पार्टी में दोबारा आना कहीं ना कहीं भारतीय जनता पार्टी की चुनावी मजबूरी है।