मुख्य अतिथि डा0 देवेश चतुर्वेदी अपर मुख्य सचिव, कृषि, कृषि शिक्षा एवं ,अनुसंधान ने अपने सम्बोधन में कृषकों की आय बढाने हेतु कृषि विविधीकरण में दलहनीए तिलहनी एवं मोटे अनाज के उत्पादन एवं उत्पादकता का बढाने पर जोर दिया जाये। उन्होंने उपभोक्ता केन्द्रित विभिन्न देशी प्रजातियों के संरक्षण एवं मूल्य वर्धन हेतु प्रेरित किया। उन्होने कृषक उत्पादक संगठनों को मजबूत बनाने पर जोर दिया, परिणाम से प्रमाण की अवधारणा पर प्राकृतिक खेती के मॉडल तथा नवोन्मेषी कृषकों के मॉडल को अधिक से अधिक किसानों में प्रसारित करने पर बल दिया।
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स्थानीय स्तर पर शुद्ध मसालों, गौ.आधारित हस्तशिल्प उत्पादों तथा अन्य महिला समूहों के उत्पादों की सशक्त विपणन पद्धति अपनाने पर जोर दिया। जिससे कि महिलाओं को स्वावलम्बी बनाया जा सकें, इसी के साथ ही इन्होने कृषि विज्ञान केन्द्रों की क्षेत्रीय कार्यशाला के सफल आयोजन पर बधाई दी। कार्यशाला में विभिन्न नवोन्मेषी कृषकों, उत्कृष्ट प्रस्तुति करने वाले कृषि विज्ञान केन्द्रों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया तथा कृषि विज्ञान केन्द्रों की विभिन्न समस्याआंे जैसे पेंशन, प्रमोशन आदि का जल्दी निस्तारण करने का आश्वासन दिया।
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पद्मश्री, भारत भूषण त्यागी ने अपने सम्बोधन में प्राकृतिक खेती की नीति तथा भाकृअनुप, कृषि विज्ञान केन्द्र, कृषि विभाग के समन्वय से एक जनपद स्तरीय समन्वित कृषि नीति बनाने पर बल दिया। डा0 पी0के0सिंह, निदेशक प्रसार द्वारा समापन अवसर पर मुख्य अतिथि डा0 देवेश चतुर्वेदी, जिलाधिकारी दीपक मीणा, डा0 डी0आर0 सिंह, कुलपति, डा0 यू0एस0 गौतम, निदेशक अटारी, लक्ष्मी मिश्रा वित्त नियंत्रक, समस्त निदेशक आदि को कार्यशाला की सफलता को धन्यवाद किया।