script15 साल पहले एमबीबीएस के छात्र की हत्या में तीन डाॅक्टरों को हुई उम्रकैद की सजा | 3 doctors sentenced to life imprisonment for killing MBBS student | Patrika News
मेरठ

15 साल पहले एमबीबीएस के छात्र की हत्या में तीन डाॅक्टरों को हुई उम्रकैद की सजा

Highlights

मेडिकल कालेज के छात्र सिद्धार्थ चौधरी का शव कैंपस के हाॅॅस्टल में मिला था
माता-पिता ने अपनी आंखों के सामने कराया था बेटे के शव का पोस्टमार्टम
तत्कालीन प्रधानाचार्य डा. ऊषा शर्मा भी तलब, हत्या के आरोप में चलेगा मुकदमा

 

मेरठDec 14, 2019 / 10:25 am

sanjay sharma

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मेरठ। 2004 में एलएलआरएम कालेज में मुजफ्फरनगर के एमबीबीएस द्वितीय वर्ष के छात्र सिद्धार्थ चैधरी का शव कैंपस स्थित हाॅस्टल में मिलने के मामले में अपर जिला जज कोर्ट संख्या एक गुरप्रीत सिंह बावा के न्यायालय में आरोपी तीन डाॅक्टरों को उमकैद की सजा सुनाई गई है। सभी को एक-एक लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है। इस मामले में अदालत ने तत्कालीन प्राचार्य डा. उषा शर्मा को भी तलब किया है।
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अभियोजन के अनुसार छह जुलाई 2004 को एलएलआरएम मेडिकल कालेज के छात्र मुजफ्फरनगर निवासी एमबीबीएस द्वितीय वर्ष के छात्र सिद्धार्थ चौधरी का शव कैंपस स्थित हाॅस्टल में मिला था। हाॅस्टल का वह रूम छात्र सचिन मलिक को आवंटित था। सिद्धार्थ के पिता डा. सुरेंद्र कौर मुजफ्फरनगर के भोपा रोड स्थित किसान नर्सिंग होम के संचालक हैं। डाॅक्टर दंपती को शुरू से ही अंदेशा था कि सिद्धार्थ की हत्या हुई है। उन्होंने पोस्टमार्टम अपने सामने कराया था। फिर उन्होंने दावा किया कि उनके बेटे की मौत स्वाभाविक नहीं है। सिद्धार्थ के चेहरे और शरीर पर चोटों के निशान मिले थे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चोटों का जिक्र नहीं किया गया था और मौत का कारण भी अज्ञात दर्शाया गया था। मृतक के पिता डा. सुरेंद्र ने चार अगस्त 2004 को मेडिकल थाने में मेडिकल कालेज की प्राचार्या डा. ऊषा शर्मा, मेडिकल के छात्र सचिन मलिक, अमरदीप और यशपाल राणा के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया।
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पुलिस ने जांच करके 2006 में अंतिम आख्या भेज दी थी। इसके बाद सिद्धार्थ के पिता ने अदालत में प्रोटेस्ट पिटीशन दाखिल की थी। अदलात ने सुनवाई के बाद सचिन मलिक, अमरदीप और यशपाल राणा को तलब किया था। सरकारी वकील नरेश दत्त शर्मा, वादी के अधिवक्ता योगेंद्र पाल सिंह चौहान व गौरव प्रताप ने 20 गवाह पेश किए। उनके बयानों व साक्ष्य के आधार पर डा. सचिन मलिक, डा. अमरदीप सिंह और डा. यशपाल राणा को आजीवन कारावास व एक-एक लाख रुपये के अर्थदंड से दंडित किया गया।
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