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प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक में बदलाव की यह बयार देखी जा रही है। यूं तो यह सब कोविड-19 की वजह से हुआ लेकिन सकारात्मक दृष्टि से देखें तो इसे हम बीते वर्ष की नए वर्ष को सौगात भी मान सकते हैं। साल बीतने को चंद दिन शेष हैं। आईए जानते हैं कि बदलाव के इस दौर को हमने किस तरह से इसे आत्मसात किया और हमारे शैक्षणिक संस्थाओं और विभागों ने इन विपरीत परिस्थितियों में भी क्या उपलब्धियां हांसिल की।नए बदलाव ने चुनौतियों को अवसर में बदला
उच्च शिक्षा की अगर बात करें तो साल 2020 का आधा समय कोविड से जंग में बीत गया हालांकि इस जंग में ही ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली को विकसित होने का अवसर मिला लेकिन कहीं न कहीं इसने अध्ययन-अध्यापन की नई राह दिखाई। चौधरी चरण सिंह विश्व विद्यालय और उससे सम्बद्ध महाविद्यालयों की बात हो या फिर सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय की। इन सभी ने बड़े ही सहज भाव से चुनौतियों को अवसर में बदला और ऑनलाइन कक्षाओं के विकल्प को स्वीकार किया। प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में तो कुछ परीक्षाएं भी ऑनलाइन आयोजित हुई।
रोजगार बनाने का किया प्रयास
लॉकडाउन से अनलॉक की ओर से जैसे ही साल बढ़ा ताे ऑनलाइन और ऑफलाइन के संयोजन से अध्ययन-अध्यापन ने फिर रफ्तार पकड़ ली। जो सबसे बड़ा बदलाव इस वर्ष देखने को मिला, वह था उच्च शिक्षा को रोजगारपरक बनाने का प्रयास है। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय ने एक दर्जन से अधिक नए सेंटर और 60 से अधिक रोजगारपरक कोर्स की रूपरेखा तैयार की। एक दर्जन से अधिक बाजारोन्मुखी रोजगारपरक पाठ्यक्रमों को शुरू करने का खाका इसने भी तैयार कर लिया है। उच्च शिक्षा संस्थानों ने स्थानीय स्तर पर अपने कार्यपरिषद की मंजूरी भी इसे लेकर हासिल कर ली है हालांकि इन सभी पाठ्यक्रमों का लाभ विद्यार्थियों को अगले वर्ष ही मिलेगा लेकिन इनकी नींव तैयार होने के लिए 2020 को हमेशा याद किया जाएगा।