Swine Flu और Corona के भय से मीट और अंडे कारोबार पर असर, लोगों के परहेज ने बदल दी स्थिति
Highlights
- मेरठ में कोरोना और स्वाइन फ्लू की दहशत से भय बना हुआ
- खौफ से चिकन और अंडे-आमलेट का प्रयोग किया कम
- चिकन और अंडों की बिक्री में गिरावट से दाम भी हुए कम

मेरठ। स्वाइन फ्लू (Swine Flu) का वायरस अभी खत्म भी नहीं हुआ है। प्रदेश में संक्रमण से कई मौतें हो चुकी हैं। अकेले मेरठ में ही 9 लोग स्वाइन फ्लू से मर चुके हैं। वहीं कोरोना वायरस से भी मेरठवासियों में दहशत है। कोरोना (Corona) और स्वाइन फ्लू वायरस के चलते मुर्गे की उम्र बढ गई हैं। मेरठ में जहां 60 कुंतल मुर्गे प्रतिदिन हलाल होते थे, वहीं अब यह मांग मात्र 30 कुंतल रह गई है। जिसके चलते मीट व्यापार से जुड़े लोगों को प्रतिदिन हानि का सामना करना पड़ रहा है।
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इस बीमारी के खौफ से लोगों ने चिकन और अंडे-आमलेट का प्रयोग कम कर दिया है। इससे इनके दामों में गिरावट आने के साथ ही लोग चिकन-कबाब वाले होटल में जाने से लोग परहेज करने लगे हैं। शासन ने भी स्वाइन फ्लू और कोरोना वायरस को लेकर हाईअलर्ट घोषित किया है। मेरठ में रोजाना करीब 60 कुंतल रुपये का अंडे-चिकन का कारोबार है। मेरठ में दिल्ली की मुर्गा मंडी गाजीपुर से बड़े पैमाने पर चिकन सप्लाई होता है।
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मुर्गे के थोक कारोबारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अच्छा चिकन 180 रुपये किलो बिक रहा था। सर्दियों के आगे बढऩे और तापमान में गिरावट से कारोबार में उछाल आया था। जब से कोरोनो और स्वाइन फ्लू का कहर शुरू हुआ है, इसके बाद से चिकन के रेट 120 रुपये किग्रा हो गए हैं। हालात यह हैं कि दिन में एक-दो ग्राहक ही आ रहे हैं। इसके अलावा जनपद में करीब दो लाख अंडे की रोजाना की खपत है। कोरोना और स्वाइन फ्लू के संक्रमण के बाद इसमें तेजी से गिरावट आई है। अंडों की बिक्री 50 हजार रोजाना पर आ गई है। शासन के दिशा निर्देश हैं कि प्रत्येक पॉल्ट्रीफार्म की मुर्गियों की सेंपलिंग कराई जाए। जांच के लिए फिलहाल मुर्गियों की बीट को मेरठ की लैब में भेजा जाएगा।
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