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मेरठ

Kathak samraat pandit birajoo mahraj : कथक शैली का बालीवुड में मनवाया लोहा,लखनऊ घराने को विश्वपटल पर दिलाया मुकाम

Kathak Samraat Pandit Birajoo Mahraj आज कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज का निधन हो गया। उनके निधन से संगीत दुनिया शोक में है। कथक सम्राट के निधन से देश की आम जनता भी स्तब्ध है। कथक सम्राट के निधन से मेरठ के संगीत प्रेमी भी काफी दुखी हैं। मेरठ के संगीत प्रेमियों ने कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज को अपने—अपने तरीके से श्रद्धांजलि प्रदान की।

मेरठJan 17, 2022 / 06:50 pm

Kamta Tripathi

Kathak samraat pandit birajoo mahraj : कथक शैली का बालीवुड में मनवाया लोहा,लखनऊ घराने को विश्वपटल दिलाया मुकाम

Kathak samraat pandit birajoo mahraj : कथक शैली का बालीवुड में मनवाया लोहा,लखनऊ घराने को विश्वपटल दिलाया मुकाम

Kathak samraat pandit birajoo mahraj कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज का हमारे बीच से यू चले जाना बहुत खल रहा है। वे संगीत की जीती जागती विधा थे। उनके कद्रदान आम से लेकर खास तक थे। कथक शैली को उन्होंने बालीवुड से हालीवुड तक जो पहचान दिलाई वह काबिले तारीफ है। यह कहना है रिचा शर्मा का। रिचा शर्मा संगीत महाविद्यालय की डायरेक्टर हैं। रिचा ने बताया कि कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज सादगी की मिसाल थे। इतना बड़ा व्यक्तित्व होने के बाद भी सादगी उनमें कूट—कूटकर भरी हुई थी। सांस्कृतिक प्रकोष्ठ की क्षेत्रीय संयोजिका नीता गुप्ता ने कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि पंडित बिरजू महाराज ने लखनऊ घराने की कथक शैली को विश्व पटल पर पहुंचाने का काम किया है। वह गायन, वादन, नृत्य तीनों में पारंगत थे। कथक जैसी अनुषा तमक नृत्य विधा को जहां उन्होंने बॉलीवुड में एक से बढ़कर एक प्रस्तुति को कोरियोग्राफ कर अपना लोहा मनवाया वहीं इस नृत्य को जनसाधारण का नृत्य बनाने में हजारों शिष्य और शिक्षाओं को तैयार किया।
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संगीत जगत में कथक सम्राट का योगदान स्वर्ण हस्ताक्षर बनकर हर कथक प्रेमी को प्रेरित करता रहेगा। श्रद्धांजलि सभा में सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के सभी पदाधिकारी संयोजक सुमन ए सुमन, मनमोहन भल्ला, सुमित चौहान, आचार्य वरुण, प्रमोद, आर्टिस्ट ब्रह्मदत्त शर्मा उपस्थित थे। वहीं महामंत्री डॉली गुप्ता उपाध्यक्ष संगीता पंडित मोंटू कश्यप प्रवीण गुप्ता रजनी उपस्थित रहीं।
कथक सम्राट से दो बार हुई मुलाकात का हवाला देते हुए नीता गुप्ता ने बताया कि सादगी की बिरजू महाराज जीती जागती मिसाल थे। अपने छात्रों को पंडित बिरजू महाराज अपने बच्चों की तरह मानते थे। उन्होंने कभी छात्रों पर अपनी रूचि नहीं थोपी। जिस छात्र में वो जो प्रतिभा देखते थे उसको कथक में बदलने का हुनर रखते थे। छात्र कब कथक सीख गया यह उसको भी पता नहीं चलता था। आज कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज भले ही नहीं हैं लेकन उन्होंने जो संगीत के क्षेत्र को उपलब्धियां हासिल करवाई वे हमेशा याद रहेंगी।
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