सरकार ने कचरा प्रबंधन के लिए यूजर चार्ज तय करने का अधिकार नगर निकायों पर छोड़ दिया है। वैसे केंद्र सरकार की ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमावली-2016 है। इस लेकर नगर निकायों को अपने यहां बोर्ड से पास कर उपविधि बनानी थी, लेकिन ज्यादातर ने ऐसा नहीं किया। यूपी के नगर निकायों में मानक के अनुसार कूड़े का निस्तारण नहीं हो पा रहा है,इसे दुरुस्त करने के लिए सरकार ने यूपी ठोस अपशिष्ट (प्रबंधन, संचालन एवं स्वच्छता) नियमावली 2021 बनाई है। इसका उद्देश्य निकायों में स्वच्छता रखने और ठोस कूड़ा प्रबंधन के लिए शुल्क व नियमावली के प्रावधानों के उल्लंघन पर जुर्माना वसूलना है।
आवासीय परिसर और आरडब्ल्यूए को भी करनी होगी व्यवस्था :— इसके तहत लोगों को कूड़ा तीन प्रकार जैविक, अजैविक और घरेलू को अलग-अलग कूड़ेदान में रखना होगा। यही नहीं सभी आवासीय परिसर, रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन और अन्य प्रतिष्ठानों को भी ये व्यवस्था करनी होगी।गीला कचरा का कंपोस्टिंग आदि के जरिए प्रोसेसिंग, निस्तारण संबंधित प्रतिष्ठानों द्वारा अपने परिसर में ही किया जाएगा। यही नहीं किसी भी कार्यक्रम, जिसमें 100 या उससे अधिक लोग शामिल होते हैं,तब आयोजक को ही कार्यक्रम के बाद स्थल पर सफाई करानी होगी। नहीं तो क्षेत्रफल और कचरे का हिसाब लगाकर जुर्माना वसूला जाएगा। इसी तरह फेरी-पटरी दुकानदार को भी बंद डिब्बा अपने पास रखकर कूड़ा एकत्र करना होगा।