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मेरठ

कोरोना संक्रमण: मृतकों के कर्मकांड को नहीं मिल रहे पंडित, तेरहवीं में ब्राहमणों का भी संकट

अंतिम संस्कार के बाद आत्म शांति के लिए भी मुश्किलें। पंडित की सलाह पर परिजन आनलाइन करा रहे कर्मकांड। पंडित और ब्राहमण बना रहे दूरी।

मेरठMay 02, 2021 / 02:13 pm

Rahul Chauhan

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मेरठ। कोरोना संक्रमण के दौरान मरे लोगों के परिजनों की मुश्किलें अंतिम संस्कार के बाद भी कम नहीं हो रही हैं। कारण, हिंदू रीति रिवाज के अनुसार मरने के बाद होने वाले कर्मकांड संस्कार और तेहरवीं भोज है। कोरोना संक्रमण के इस दौर में कर्मकांड करवाने के लिए न तो पंडित मिल रहे हैं और न ही तेरहवीं पर भोज के लिए ब्राहमण। पंडित और ब्राहमण दोनों ही घर पर आकर कर्मकांड और भोज करने से मना कर रहे हैं।
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दरअसल, शास्त्री नगर निवासी केके मिश्रा की कोविड से मौत के बाद घरवालों ने उनके कर्मकांड के लिए पंडित को बुलाना चाहा लेकिन पंडित ने घर आने से साफ मना कर दिया। पंडित ने कहा कि ऑनलाइन कर्मकांड करा लीजिए। नहीं तो कोविड के बाद पुतले का दाह संस्कार कराकर फिर से पूरी प्रकिया करवाई जा सकती है। के.के मिश्रा के परिवार के लोग अभी निर्णय नहीं ले पा रहे हैं। वहीं मोहनपुरी निवासी जीके शर्मा की कोविड से मौत के बाद घरवाले पंडित की सलाह पर ऑनलाइन कर्मकांड करा रहे हैं।
पंडित और हलवाई आने को तैयार नहीं

कोरोना काल में हो रही मौतों के बीच श्राद्ध,कर्मकांड और तेरहवीं में ब्राम्हण भोज का सकंट खड़ा हो गया है। मौत के सदमें वाले घर शुद्धि के लिए इसे कराना चाहते हैं लेकिन संक्रमण के खतरे से पंडित और हलवाई आने को तैयार नहीं। मजबूरन लोगों ने इसे भी ऑनलाइन कर दिया है। ब्राम्हणों के खाते में पैसा भेज दे रहे हैं। वहीं कुछ पंडित वीडियो कॉलिंग के जरिये कर्मकांड करा रहे हैं। छंगा हलवाई का कहना है कि उनके पास कई लोगों के फोन आए तरहवीं में पूडी—सब्जी,रायता और लडडू के लिए। लेकिन उन्होंने मना कर दिया। एक तो कारीगर नहीं मिल रहे। दूसरा कोरोना संक्रमण का खतरा।
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कर्मकांड करने वाले पंडित संदीप त्रिवेदी कहते हैं कि इस समय खुद की सुरक्षा के लिए ऑनलाइन व्यवस्था के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। कर्मकांड वीडियो कॉलिंग के माध्यम से कराया जा रहा है। तेरहवीं के भोजन के लिए ब्राह्मणों के खाते में नकद दक्षिणा भेज कर लोग परंपरा पूरी कर रहे हैं। पंडित संदीप कहते हैं कि परिवारों ने मोबाइल से पूरी विधि की जानकारी ली है। उनका कहना है कि परिस्थितियां जैसे ही अनुकूल होंगी ख़टकर्म, ब्रह्मभोज दान-पुण्य कर विधि-विधान से शुद्धि कराएंगे।

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