ताजा मामला थाना सदर बाजार क्षेत्र का है। जहां दुकानदार विजय गुप्ता को डेढ़ हजार रुपये का भुगतान करने के लिए महिला ग्राहक ने उनकी दुकान पर लगा क्यूआर कोड स्कैन किया और पेमेंट कर दिया। हालांकि, पैसा उनके बैंक खाते में नहीं आया। पता चला कि क्यूआर कोड पोस्टर के ऊपर एक और पोस्टर चिपका हुआ था। कुछ ऐसा ही एक और मामला शास्त्रीनगर स्थित पिज्जा शाप के डब्बू के साथ हुआ। उनकी दुकान के बाहर भी ऑनलाइन पेमेंट के लिए क्यूआर कोड का पोस्टर चिपका है। लोग इसे स्कैन करके पेमेंट कर देते हैं। उनके यहां भी पिछले दिनों फ्रॉड हुआ तो पता चला कि किसी ने नया क्यूआर कोड का पोस्टर चिपका दिया है। ऐसे ही नोएडा में पिछले दिनों एक केस ऐसा ही आया था।
बता दें कि ऑनलाइन पेमेंट के लिए लोग अपनी दुकानों के बाहर क्यूआर कोड के पोस्टर चिपका देते हैं। इन्हें स्कैन करके ग्राहक पेमेंट कर देते हैं। जालसाज नजर बचते ही या रात में इन पोस्टरों के ऊपर नए क्यूआर कोड चिपका देते हैं। जब तक दुकानदार को पता चलता है, जब तक कई ग्राहकों का पैसा जालसाज के खाते में जा चुका होता है। एसपी क्राइम रामअर्ज ने बताया कि मामलों में जांच की तो पता चला कि मेवात गैंग ही यह फ्रॉड कर रहा है। हरियाणा के झुंझनू, नूह, मेवात और यूपी में मथुरा का गोवर्धन एरिया, खासकर देवसरस गांव से गैंग चल रहा है।