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मेरठ

देश में बिना किसी ऑफिस के हर दिन होता है करोड़ों का Satta कारोबार

सट्टे के इन कोडवर्ड्स को जानकर आप हो जाएंगे हैरान
 

मेरठSep 24, 2018 / 04:46 pm

Iftekhar

केपी त्रिपाठी @patrika
मेरठ. देश में क्रिकेट जहां धर्म का रूप ले चुका है। वहीं, मैच के दौरान सट्टा कारोबार भी खूब फलता और फूलता है। यह ऐसा धंधा है कि मैंच केे दौरान इस धंधे को करने वालों की जहां मौज रहती है। वहीं सट्टा खेलने वाले कुछ लोगलखपति बन जाते हैं, वहीं कुछ लोगों के घर तक बिक जाते हैं। सट्टे की पूरी कमान दुबई या फिर पाकिस्तान के अलावा नेपाल से हैंडल किया जाता है। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि सट्टा बाजार से जुड़े लोग बताते हैं। मैच शुरू होने से चंद समय पहले खुला डिब्बा ही सट्टा बाजार का भाव तय करता है।


बिना ऑफिस के सिर्फ कोडवर्ड से चलता है अरबों का अवैध कारोबार: satta trade
सट्टा बाजार के सूत्रों की माने तो पूरा कारोबार बिना ऑफिस के सिर्फ कोडवर्ड के सहारे ही चलता है। यह धंधा भारत में भले ही अवैध हो, लेकिन यह धंधा चलता है पूरी ईमानदारी से। इसकी इमानदारी देखिए कि कोई किसी को जानता भी नहीं, फिर भी अरबों का कारोबार पूरी इमानदारी के साथ होता है। रुपये का लेन-देन भी हाथों-हाथ होता है। हालांकि, इस धंधे में एक रूपये का भी कोई उधार नहीं चलता है। क्रिकेट सट्टे के इस गोरखधंधे को कैसे डील किया जाता है। इसके कोडवर्ड क्या हैं और कैसे खेला जाता है। यह जानने के लिए पत्रिका के मेरठ संवाददाता ने कुछ ऐसे लोगों से बात की, जो कि सट्टे के धंधे से काफी करीबी से जुड़े हैं। गौरतलब है कि ये पूरा धंधा कोडवर्ड के सहारे चलता है। सट्टे के माध्यम से मैच में पैसे का दाव लगाने वाले को फंटर कहा जाता है। पूरे मैच के दौरान जो पूरे पैसे का हिसाब रखता है उसे बुकी कहा जाता है।

खाया और लगाया का यह होता है अर्थ
सट्टा बाजार में रुपए लगाने वाले फंटर दो शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। पहला होता हे खाया और दूसरा होता है लगाया। इसका मतलब होता है अगर किसी टीम को फेवरेट माना जाता है तो उस पर लगाए गए रुपये या दाव को लगाया कहा जाता है। ऐसे में अगर दूसरी टीम पर दांव लगाना हो तो उसे खाना कहते हैं।

डिब्बा निभाता है अहम भूमिका: Satta Buki
सट्टा बाजार में डिब्बा मुख्य भूमिका निभाता है। डिब्बा मोबाइल का वह कनेक्शन है, जो मुख्य सटोरियों से फंटर को कनेक्शन देते हैं। जिस पर हर बॉल का रेट बताया जाता है। यह नंबर बुकी और फंटर के पास होता है। इसी नंबर पर पूरे मैच के दौरान बातचीत की जाती है। इसी नंबर पर बोलकर बोली का उतार-चढाव होता है। डिब्बे यानी एक खास नंबर होता है, जिसे डायल करते ही उस नंबर पर मैच की कमेंट्री शुरू हो जाती है।

कुछ चुनिंदा कोडवर्ड- Stta code Words
मैच के दौरान सटोरियों की भाषा पुलिस भी नहीं पकड़ पाती है। पूरे मैच के दौरान सटोरियें अपने कोडवर्ड में बात करते रहते हैं और पुलिस को भनक तक नहीं लग पाती। पूरा मैच में करोडो से अरबो के वारे न्यारे हो जाते हैं। वह भी सब इन्हीं कोडवर्ड के बदौलत जैसे ‘मैने अठन्नी खा ली है ‘डिब्बे में आवाज है क्या। ‘तेरे पास कितने लाइन है, ‘आज फेवरिट कौन है, ‘लाइन को लंबी पारी चाहिए। कहने को ये सिर्फ चंद शब्द हैं जो आम भाषा या आम लोगों की समझ से परे होंगे लेकिन इनके बोलने में करोड़ों का लेनदेन हो रहा है। डिब्बे पर अगर किसी टीम को फेवरेट मानकर डिब्बा उसका रेट 80-83 आता है तो इसका मतलब यह है कि फेवरेट टीम पर 80 लगाओगे तो एक लाख रुपये मिलेंगे और दूसरी टीम पर 83 लगाओगे तो एक लाख रुपये मिलेंगे।

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