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मेरठ

165 साल बाद पितृपक्ष और नवरात्र के बीच बना रहा ये विशेष संयोग

Highlights- 17 सितंबर से 16 अक्टूबर तक रहेगा अधिमास- एक माह विलंब से शुरू होगा मां दुर्गा का नवरात्र- धर्म शास्त्रों के अनुसार सैकड़ों वर्ष बाद लग रहा संयोग

मेरठSep 16, 2020 / 10:17 am

lokesh verma

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मेरठ. 2020 कई मायनों में इतिहास के पन्ने पर दर्ज हो चुका है। कोरोना की महामारी के अलावा इस वर्ष कुछ ऐसे राजनीति और धर्मिक घटनाक्रम हो रहे हैं, जो कि सैकड़ों वर्षों के बाद हो रहे हैं। इन्हीं में से एक है पितृपक्ष और नवरात्र का संयोग। प्रतिवर्ष पितृपक्ष के तुरन्त बाद नवरात्र शुरु हो जाते थे। हलांकि इस साल ऐसा नहीं है। इस बार पितृपक्ष और शारदीय नवरात्र के बीच एक महीने का अंतर आ रहा है। इस साल पितृ विसर्जन के अगले ही दिन से नवरात्र शुरू होने की बजाए, एक महीने विलंब से शुरू होगा। पितृ पक्ष और नवरात्र के बीच में एक महीने का अधिमास, पुरुषोत्तम मास, मलमास होगा। अधिमास 17 सितंबर से 16 अक्टूबर तक रहेगा, जो सभी के लिए शुभ और फलदायी रहेगा।
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अधिमास और लीप ईयर के चलते एक माह बाद लग रहा नवरात्र

पंडित भारत ज्ञान भूषण ने बताया कि इस बार 17 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र की शुरुआत होगी। धर्म शास्त्रों के अनुसार, 165 साल बाद यह संयोग बनने जा रहा है। इस बार अधिमास और लीप ईयर एक ही वर्ष में पड़ रहे हैं। इस कारण चातुर्मास जो हर साल चार महीने का रहता है। वो इस बार पांच महीने का होगा। चातुर्मास लगने के कारण इस दौरान शुभ कार्य और मांगलिक कार्य संपन्न नहीं होंगे। इस बार शारदीय नवरात्र की शुरुआत 17 अक्टूबर से होगी। जबकि 24 अक्टूबर को नवमी मनाई जाएगी। 25 अक्टूबर को विजयादशमी और देवउठनी एकादशी भी होगी। देवोत्थान एकादशी का पर्व 25 अक्टूबर बुधवार को मनाया जाएगा। देवोत्थान एकादशी का पर्व 25 अक्टूबर के दिन 1:11 बजे से आरंभ होगा और इसका समापन अगले दिन 26 अक्टूबर को 3:18 बजे शाम में होगा। जिसके साथ ही चातुर्मास समाप्त होंगे। इसके बाद ही विवाह, मुंडन आदि मंगल कार्य शुरू होंगे।
क्या है अधिक मास

पंडित भारत ज्ञान भूषण ने बताया कि हिन्दू पंचांग में बारह मास होते हैं। यह सूर्य की संक्रांति और चन्द्रमा की गड़ना पर आधारित होते हैं। हर वर्ष सूर्य और चन्द्र की युति के कारण मास में लगभग 11 दिनों का अंतर आ जाता है। तीन वर्ष में यह अंतर लगभग एक माह का हो जाता है। इसलिए हर तीसरे वर्ष अधिक मास आ जाता है। इसको लोकाचार में मलमास भी कहा जाता है।

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