दरअसल नवंबर और दिसंबर माह में विवाह के कुल 9 मुहूर्त थे। दिसंबर में अब 6, 7, 9 ,10 और 11 दिसंबर के ही विवाह मुहूर्त बचे हैं। सात दिसंबर को काफी शुभ माना जा रहा है। इस दिन वेस्ट में हजारों शादियां होंगी। पंडित भारत ज्ञान भूषण के अनुसार गत 25 नवंबर को देवोत्थान एकादशी अनबूझ साया था। इस तिथि को सभी लोग शुभ मानते हैं। इसलिए यह विवाह मुहूर्त बहुत ही व्यस्त रहने वाला रहा। इसके अलावा एकादशी का व्रत रखने वाले भक्तगण देवोत्थान एकादशी पर ही एकादशी व्रत का पारायण करते हैं।
तुलसी विवाह आदि का भी आयोजन इस अवसर पर होता हैं। इस प्रकार यह तिथि बहुत ही श्रेष्ठ मानी गई है। इस दिन भी काफी शादियां हुई थी। इन उत्तम मुहूर्तों के बाद साढ़े चार महीने तक विवाह के मुहूर्त नहीं है। इसलिए जो युवा इस वर्ष रह जाएंगे। अब उनका विवाह 25 अप्रैल से और 18 जुलाई के मध्य हो सकेगा। 15 दिसंबर से 14 जनवरी तक धनु राशि में सूर्य का संचार रहेगा। इसे हम मलमास या पौष मास कहते हैं। 14 मार्च से 13 अप्रैल तक सूर्य मीन राशि में रहेगा तब भी वहीं मलमास रहेगा। ऐसा माना जाता है कि जब भी सूर्य बृहस्पति की धनु और मीन राशि में आता है उस अवधि में विवाह मुहूर्त आदि शुभ कार्य नहीं होते हैं।
इसी प्रकार जब बृहस्पति भी डेढ़ वर्ष के लिए सिंह राशि में आता हैं तो पूरा वर्ष भी शुभ कार्यों के लिए अशुभ माना जाता है । किन्तु कुछ विद्वान उस पूरी अवधि में भी कुछ शुभ मुहूर्त निकाल लेते हैं ताकि लोग असुविधा से बच सकें। ऐसे में गुरु के नवांश अवधि को अत्यंत अशुभ मानकर छोड देते हैं। बाकी समय विवाह आदि के लिए शुभ मान लेते हैं क्योंकि वह डेढ़ वर्ष का लंबा समय होता है। इसलिए शास्त्रों में इसका विकल्प दिया हुआ है। किंतु सूर्य की सक्रांति तो एक महीने की होती है। इसलिए इसमें शुभ समय के लिए में कोई विकल्प नहीं होता है। उपरोक्त साढ़े 4 महीने की अवधि में 2 मास तो मलमास के बीत गए। 17 जनवरी 2021 से 15 फरवरी 2021 तक गुरु अस्त रहेंगे।