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मेरठ

कोरोना का कहर: दो महीने में बिक गए पिछले दस साल के बराबर कफन

मेरठ के कब्रिस्तानों में कम पड़ने लगी शव दफनाने के लिए जमीन, दुकानों पर बढ़े कफन खरीदार

मेरठMay 15, 2021 / 08:11 pm

lokesh verma

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केपी त्रिपाठी/मेरठ. कोरोना संक्रमण (Coronavirus) ने चारों ओर जबरदस्त तबाही मचाई हैं। हंसते-खेलते परिवार इस महामारी ने उजाड़ दिए हैं। 10 मार्च के बाद कोरोना संक्रमण ने जो रफ्तार पकड़ी तो उसके बाद से कब्रिस्तान और श्मशान घाटों पर शवों की संख्या एकाएक बढ़ गई। अप्रैल के बीच हालात यह हो गए कि नए कपड़ों से अधिक बिक्री शवों के ढकने वाले कपड़े की होनी लगी। शव हिंदू का हो या फिर अन्य किसी संप्रदाय का। गंगा मोटर कमेटी और मुस्लिमों के कब्रिस्तानों (kabristan) का समान बेचने वाले संस्थानों ने इतने कफन (Kafan) पिछले 10 साल में नहीं बेचे जितने कि इन दो महीने में बेच लिए हैं।
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महिला शव के लिए 20 मीटर तो पुरुष के लिए 18 मीटर

बाले मियां मजार स्थित कब्रिस्तान बाले मिया में कफन का कपड़ा बेचने वाले अरशद बताते हैं कि महिला के शव के लिए 5 कपड़ों की जरूरत पड़ती है। जबकि पुरुष के लिए 3 कपड़ों की जरूरत होती है। महिला शव मेें कुल 20 मीटर कफन लगता है। जबकि पुरुष के कफन में 18.5 मीटर की जरूरत होती हैं। उन्होंने बताया कि पिछले साल से उनके यहां कफन के कपड़े के दामों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है, लेकिन इस बार मार्च से लेकर अब तक कफन के खरीदारों में 50 गुना वृद्धि हुई हैं। उन्होंने बताया कि पुरुष के लिए एक कफन करीब 800 रुपए और महिला के लिए कफन 1000 रुपए का बेचा जा रहा है। अरशद का कहना है कि वे पिछले 15 साल से कफन का कपड़ा बेच रहे हैं। जितने कफन उन्होंने मार्च से लेकर अब तक बेचे हैं, उतने तो पूरे दस साल में भी नहीं बेचे। अरशद बताते हैं कि कफन के कपड़े के लिए उन्हें डीसीएम में भरकर कपड़े लाने पड़ रहे हैं।
लकड़ी के तख्ते भी हुए महंगे

अरशद कहते हैं कि लकड़ी के तख्ते जरूर कुछ महंगे हुए हैं। उन्होंने बताया कि लकड़ी की कमी के चलते लोगों को शवों दफनाने के लिए लकड़ी के तख्ते नहीं मिल रहे हैं। जिस कारण उनको लकड़ी के तख्ते ऊंचे दामों में खरीदने पड़ रहे हैं।
हर कब्रिस्तान में कम पड़ गई दफीने की जमीन

मेरठ में छोटे-बड़े मिलाकर लगभग 25 कब्रिस्तान हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में अलग हैं। इन सभी कब्रिस्तानों में शवों को दफनाने के लिए जमीन कम पड़ गई है। आलम ये था कि लोग शवों को दफनाने के लिए जमीन तलाशते फिर रहे हैं। बता दें कि अधिकांश कब्रिस्तान मुस्लिम बिरादरियों में सभी के अलग-अलग हैंं। जो कब्रिस्तान जिस बिरादरी का है उसमें उसी के जनाजे दफनाए जाते हैं। इस कारण से भी कब्रिस्तान में जगह नहीं मिल पाती।

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