बोर्ड ने रुचि नहीं लेने वाले प्रधानाचार्यों को साफ अल्टीमेटम दिया है। स्पष्ट किया है कि बार-बार परीक्षा फॉर्म भरने की तिथि विस्तारित करने के बाद भी यदि इस बार यदि विद्यार्थी छूटे तो उन पर कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। ऐसी बड़ी लापरवाही पर वित्तविहीन स्कूलों की मान्यता तक छीनी जा सकती है। इस संबंध में बोर्ड सचिव का आदेश मेरठ के जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में पहुंचा है।
आदेश के मुताबिक, बोर्ड ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए चौथी बार परीक्षा फॉर्म भरने और पंजीकरण की तारीखें बढ़ाई हैं। इसके बाद अवसर नहीं मिलेगा। बोर्ड का कहना है कि कई प्रधानाचार्य इस कार्य में रुचि नहीं ले रहे हैं। यह खेदजनक है। शासन ने कोविड-19 के मद्देनजर चौथी बार विलंब शुल्क के साथ आवेदन करने का मौका दिया है।
10वीं और 12वीं के संस्थागत तथा व्यक्तिगत परीक्षार्थियों का फॉर्म पांच जनवरी तक भरने का आदेश दिया गया है। कक्षा नौ व 11 के संस्थागत विद्यार्थियों का पंजीकरण 10 जनवरी तक हो सकेगा। परिषद के मुताबिक उसे इस कार्य में लापरवाही बरते जाने की सूचनाएं मिल रही हैं।
डीआईओएस गिरजेश कुमार का कहना है कि प्रधानाचार्यों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे इस कार्य को तत्परता से पूरा कराएं। उनकी लापरवाही से यदि परीक्षा फॉर्म व पंजीकरण शेष रह जाता है तो संबंधित प्रधानाचार्य दोषी माने जाएंगे। उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए नियुक्ति प्राधिकारी से संस्तुति की जाएगी, जबकि वित्तविहीन कालेजों की मान्यता प्रत्याहरण तक की कार्यवाही हो सकती है।