आईआईटी व एनआईटी में दाखिले की प्रक्रिया में आएगा बदलाव
नई प्रक्रिया के तहत खत्म हो जाएगा जेईई एडवांस का औचित्य, लेकिन चुनिंदा अभ्यर्थी ही दे सकेंगे जेईई मेंस परीक्षा
नई दिल्ली। इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिले के लिए गलाकाट प्रतिस्पर्धा के बीच अब आईआईटी और एनआईटी में दाखिले की प्रक्रिया में बदलाव होने जा रहा है। आईआईटी के अनुसार नई प्रक्रिया 2017 से लागू हो सकती है और इसके तहत जेईई परीक्षा से पहले स्टूडेंट्स की मानसिक जांच के लिए एप्टीट्यूड टेस्ट लिया जाएगा। ऐसे में 12वीं पास कर चुके या 12वीं कर रहे सभी परीक्षार्थियों में से केवल एप्टीट्यूड टेस्ट में सफल होने वाले अभ्यर्थी ही जेईई परीक्षा में बैठ सकेंगे। यह परीक्षा वैज्ञानिक तर्क शक्ति, साइंटिफिक एप्टीट्यूड व इनोवेटिव एबिलिटी पर आधारित होगी।
इस संबंध में हाल ही प्रोफेसर अशोक मिश्रा की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार को रिपोर्ट सौंपी है। समिति के अनुसार जेईई परीक्षा प्रणाली में ऐसे बदलावों का उद्देश्य विद्यार्थियों की कोचिंग संसथानों पर निर्भरता समाप्त करना है।
नहीं होगा जेईई एडवांस
कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार यह ऑनलाइन परीक्षा वर्ष में दो या अधिक बार आयोजित की जाएगी। इस परीक्षा में प्रदर्शन के आधार पर टॉप चार लाख अभ्यर्थी शॉर्टलिस्टेड किए जाएंगे। वे छात्र जेईई परीक्षा में बैठ पाएंगे। जेईई परीक्षा में टॉप के 40 हजार अभ्यर्थियों का चयन आईआईटी और एनआईटी की एडमिशन काउंसिलिंग के लिए किया जाएगा। यह कॉमन काउंसिलिंग होगी। ऐसे में जेईई एडवांस का औचित्य भी खत्म हो जाएगा, जिससे आईआईटी पर अतिरिक्त दबाव भी कम होगा। फिलहाल वर्ष 2016 में दो चरणों में ही परीक्षा होगी। जेईई मेन में सफल टॉप डेढ़ से दो लाख परीक्षार्थी जेईई एडवांस में शामिल होंगे।
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