मंदिर होने कस सबूत पेश करने का दावा परासरन के बाद राम लला विराजमान कि तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने अदालत से कहा कि अयोध्या में मस्जिद से पहले मंदिर था। उन्होंने कहा कि हम इससे संबंधित सबूत कोर्ट के समक्ष पेश करेंगे।
उन्होंने कहा कि 18 दिसंबर,1961 को जब लिमिटेशन एक्ट लागू हुआ, उससे पहले 16 जनवरी, 1949 को मुस्लिमों ने अंतिम बार वहां प्रवेश किया था। रामलला विराजमान की तरफ से वरिष्ठ वकील सी एस वैद्यनाथन ने कहा कि कोई स्थान देवता हो सकता है, अगर उसमें आस्था है तो।
सुप्रीम कोर्ट का कश्मीर में जारी पाबंदियों के खिलाफ तत्काल सुनवाई से इनकार उनके इस तर्क पर न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने चित्रकूट में कामदगिरि परिक्रमा का जिक्र किया। उन्होंने कहा लोगों की आस्था और विश्वास है कि वनवास जाते समय भगवान राम, लक्ष्मण और सीता ठहरे थे।
रामलाल विराजमान के वकील ने कहा 1949 में मूर्ति रखे जाने से पहले भी ये स्थान हिंदुओं के लिए पूजनीय था। हिंदू दर्शन करने आते थे। सिर्फ मूर्ति की जरुरत नहीं है किसी स्थान के पूजनीय होने के लिए। गंगा और गोवर्धन पर्वत का भी हम उदाहरण ले सकते हैं।
हाशिम: अयोध्या हिंदुओं के लिए पवित्र स्थान है रामलला विराजमान के वकील ने कहा कि अयोध्या मामले में 72 साल के गवाह हाशिम ने भी कहा था कि अयोध्या हिंदुओं के लिए पवित्र है। जैसे मक्का मुसलमानों के लिए पवित्र है।
असम: एनआरसी पर सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की मोदी सरकार की मांग मुस्लिम पक्ष ने मालिका हक का सबूत कभी पेश नहीं किया न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने राम लला विराजमान के वकील सीएस वैद्यनाथन से पूछा कि हाईकोर्ट ने अपने फैसले में दो पक्षों को कब्जा दिया है। इसको कैसे देखा जाए?
वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि मुस्लिम पक्ष ने हमेशा माना है कि विवादित जमीन पर हिंदू पूजा करते आए हैं। मुस्लिम पक्ष की तरफ से मालिकाना हक को लेकर कभी कोई सबूत नहीं दिया गया। न ही इस बात का सबूत दिया गया कि जमीन पर उनका कब्जा था।