इसके पहले मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से 32 हस्तक्षेप याचिकाएं खारिज की जा चुकी हैं। इनमें श्याम बेनेगल, अपर्णा सेन और तीस्ता सीतलवाड़ की याचिकाएं भी शामिल थीं। सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर की न्यायिक पीठ ने अयोध्या मामले में किसी भी तरह के हस्तक्षेप आवेदन को स्वीकार करने से मना कर दिया था। आपको बता दें कि बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यन स्वामी के हस्तक्षेप वाली याचिका भी खारिज कर दी गई है।
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड और मुस्लिम याचिकाकर्ताओं ने वो याचिका खारिज कर दी है जिसमें तत्काल इस केस को बड़ी बेंच के पास भेजने का अनुरोध किया गया था। सूत्रों के मुताबिक कोर्ट ने कहा कि पहले केस के मुख्य पक्षों की याचिका सुनी जाएगी। 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के तीन जजों की बेंच ने 2-1 के बहुमत से यह आदेश दिया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला में बराबर-बराबर बांटी जाएगी। 14 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पहले यह तय किया जाएगा कि जमीन विवाद का मामला पांच जजों की बेंच को भेजा जाएगा या नहीं।