साल 2015 में पिछली बार दिल्ली में महज 3 सीटें जीतने वाली बीजेपी को इस बार बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी। दिल्ली के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ( Manoj Tiwari ) ने तो 48 सीटों पर जीत का दावा ठोका था। लेकिन मनोज तिवारी समेत पूरी बीजेपी पार्टी के तमाम दावे खोखले साबित हुए।
दिल्ली में मिली हार के साथ ही बीजेपी के लिए देश का सियासी समीकरण एकदम बिगड़ गया है। अब दिल्ली समेत 12 राज्यों में बीजेपी विरोधी दलों की सरकार हैं। एनडीए की 16 राज्यों में ही सरकार है। देश के दूसरी सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस खुद के बूते या गठबंधन के जरिए महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, पुडुचेरी में सत्ता में है।
झारखंड में सरकार बनने के बाद कांग्रेस की कुल 7 राज्यों में सरकार है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की यह लगातार तीसरी जीत है। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, केरल में माकपा के नेतृत्व वाला गठबंधन, आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस, ओडिशा में बीजद और तेलंगाना में टीआरएस इस वक़्त सत्ता में है।
तमिलनाडु में बीजेपी ने अन्नाद्रमुक के साथ लोकसभा चुनाव तो लड़ा था, लेकिन राज्य में उसका एक भी विधायक नहीं है। इसलिए वह सत्ता में भागीदार नहीं है। दिसंबर, 2017 में एनडीए बेहतर स्थिति में था। बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के पास 19 राज्य थे।
लेकिन एक साल बाद ही बीजेपी ने तीन राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में सत्ता की कुर्सी गंवा दी। इन जगहों पर अब कांग्रेस की सरकारें हैं। वहीं चौथा राज्य आंध्र प्रदेश है, जहां बीजेपी-तेदेपा गठबंधन की सरकार थी। मार्च 2018 में तेदेपा ने बीजेपी से अपना नाता तोड़ लिया।
जबकि साल 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां वाईएसआर कांग्रेस ने सरकार बनाई। पांचवां राज्य महाराष्ट्र है, जहां चुनाव के बाद शिवसेना ने एनडीए का साथ छोड़कर कांग्रेस-राकांपा के साथ सरकार बनाई है। इस बार दिल्ली ने फिर से बीजेपी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।