अक्सर अपना ब्रैंड का प्रमोशन करने के लिए एफएमसीजी कंपनियां बच्चों को अट्रैक्ट करने के लिए यह ऑफर्स देती हैं। कुछ कंपनियां टैटू गिफ्ट कर देते हैं, तो कुछ कंपनियां कोई भी प्लास्टिक के खिलौने देती हैं। ऐसा ही हुआ जब पीयूष ने एक चिप्स का पैकेट खरीदा तो चिप्स के पैकेट के अंदर प्लास्टिक का खिलौना निकला। पीयूष ने गलती से चिप्स खाते-खाते वो प्लास्टिक का खिलौना भी खा लिया। जिसकी वजह उसे बोलने में दिक्कत होने लगी। कई कोशिशों के बावजूद जब वो खिलौना बाहर नहीं निकला, तो आनन-फ़ानन में उसे हॉस्पिटल ले जाया गया। लेकिन जैसा कि हमने पहले ही बताया कि उस दिन दुर्गा पूजा थी और दशहरे की सड़कों पर रौनक थी, तो सड़कों पर इतना जाम था कि पीयूष को वक्त रहते हॉस्पिटल तक भी नहीं पहुंचाया जा सका, जिस वजह से पीयूष की मौत हो गई।
इस केस की जांच कर रहे फॉरेंसिक एक्सपर्ट ने बताया कि ‘ये खिलौना पीयूष की श्वास नली में अटक गया था, जिसकी वजह से उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। जब उसे पूरी तरह से सांस नहीं मिला तो उसने अपना दम तोड़ दिया।’ पीयूष के पिता बिरजू ने बताया कि ‘वह दिसंबर में 5 साल का होने वाला था। हम लोग मेले में गए हुए थे, जहां वो खूब मस्ती कर रहा था। घर लौटते समय उसने चिप्स की डिमांड की, जिसमें ये स्प्रिंग वाला खिलौना था, जो पीयूष के गले में फंस गया।’ पीयूष के पापा ने बताया कि दुर्गा पूजा होने की वजह से कोई ऑटो तक नहीं मिला। जिस वजह से पास के ही अस्पताल जो कि वहां से सिर्फ 3 किलोमीटर दूरी पर था। वह जाम होने के कारण नहीं पहुंच पाए।