सेमी हाई स्पीड ट्रेन को भारतीय रेल की तकनीकी सलाहकार अनुसंधान अभिकल्प और मानक संगठन (आरडीएसओ) ट्रेन को प्रायोगिक तौर पर चलाएगी और उसे मान्यता प्रदान करेगा। ट्रेन-18 को इसी साल जून में बेड़े में शामिल किया जाना था। यह ट्रेन 160 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ने में सक्षम है। ट्रेन का परिचाल प्रारंभ होने के बाद देश के किसी भी कोने का सफल तय करना आसान हो जाएगा। इसके कोच से मौजूदा शताब्दी और इंटरसिटी के कोच से बदला जाएगा। इससे चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में निर्मित ट्रेन-18 से मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिलेगा।
पूरी तरह से वातानुकूलित चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में निर्मित ये ट्रेनें स्वचलित ट्रेन मेट्रो की तरह इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन की तरह चलेगी। इसके लिए इंजन की आवश्यकता नहीं होगी। यानी इसके ऑपरेशन में मैन पावर की जरूरत नहीं पड़ेगी। भविष्य में शताब्दी जैसी ट्रेनों को हटाकर ट्रेन-18 चलाने की योजना है। रेल मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि आईसीएफ छह ऐसे ट्रेन सेट बनाएगा, जिनमें से दो में स्लीपर कोच होंगे। पूरी तरह वातानुकूलित इस चेयरकार ट्रेन में वाई-फाई की भी सुविधा होगी।