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ये ज्यादातर ऐसे लोगों को प्रभावित करता है जो अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ी दवाएं ले रहे हैं। ऐसे लोग साइनस या फेफड़े में हवा से फंगल बैक्टीरिया अंदर जाने के बाद प्रभावित होते हैं।
आंखें तक गंवानी पड़ रही हैं
दरअसल कोरोना वायरस से ठीक हो रहे लोगों को आंखो से जुड़ी समस्या सामने आ रही है। ब्लैक फंगस के मामले में मरीजों को अपनी आंखें तक गंवानी पड़ रही है। कई राज्यों में ब्लैक फंगस ने मरीजों की जान ले ली है। ब्लैक फंगस के संक्रमण को देखते हुए ICMR ने गाइडलाइन जारी की है। इसमें बताया गया है कि कैसे इससे बचाव के लिए क्या करें और क्या न करें।
इसे सामान्य भाषा में काला फंगल कहते हैं। इस फंगल का खतरा लो इम्यूनिटी वालों को सबसे ज्यादा है। ब्लैक फंगस नाक से शुरू होकर आपकी आंखों और बाद में मस्तिष्क तक पहुंचाता है। ये बाद में जानलेवा तक साबित हो सकता है।
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ब्लैक फंगस के 12 लक्षण
(1 ) सिर दर्द , (2 )चेहरे पर दर्द, (3 )नाक बंद, (4) आंखों की रोशनी कम होना या फिर दर्द होना, (5) मानसिक स्थिति में बदलाव या फिर भ्रम पैदा होना, (6 )गाल और आंखों में सूजन, (7) दांत दर्द,
(8 )दांतों का ढीला होना, (9) नाक में काली पपड़ी जमना, (10) खांसी, (11) सांस लेने में तकलीफ, (12) खूनी उल्टी।
बचाव के लिए क्या करें
– खून में ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रण में रखें। स्टेराइड के इस्तेमाल पर पूरी निगरानी रखें। डॉक्टर द्वारा दी गई दवा को सही समय पर लें।
– ऑक्सीजन लेने के दौरान स्टरलाइल पानी का उपयोग करें।
– धूल भरी जगहों पर जा रहे हैं तो मास्क उपयोग जरूर करें।
– घर के अंदर और साफ सफाई बनाए रखें। बागवानी या खेत के काम के बाद अच्छी तरह स्वस्छ हो जाएं।
क्या न करें-
-अगर ब्लैक फंगल का कोई लक्षण सामने आता है तो उसकी अनदेखी बिल्कुल न करें।
-बंद नाक के मामले को नजरअंदाज न करें। इसे साइनेसाइटिस का मामला न समझें। खासकर कोरोना ग्रस्त मरीज को इसे गंभीरता से लेना चाहिए।
– फंगल का पता लगाने के लिए उपयुक्त जांच का सहारा लेना चाहिए।
– म्यूकोरमाइकोसिस का उपचार शुरू करने को लेकर देर बिल्कुल न करें।