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यौन अपराधियों का रिकॉर्ड रखने के लिए नेशनल रजिस्ट्री की आज से शुरुआत, भारत बना दुनिया का 9वां देश

अमरीका, ब्रिटेन समेत भारत बना दुनिया 9वां ऐसा देश, जहां रखी जाएगा यौन अपराधियों का रिकॉर्ड

Sep 20, 2018 / 02:28 pm

धीरज शर्मा

crime

यौन अपराधियों पर नकेल की तैयार, नहीं होंगे बलात्कार

नई दिल्ली। यौन अपराधियों की राष्ट्रीय रजिस्ट्री के लिए भारत पूरी तरह तैयार है। गुरुवार से देश में इसकी शुरुआत हो जाएगी। इसके साथ ही भारत दुनिया का 9वां देश बन गया है जहां इस तरह का डेटाबेस तैयार किया जाएगा। भारतीय रजिस्ट्री में दोषी यौन अपराधी का नाम, फोटोग्राफ, घर का पता, उंगलियों के निशान, डीएनए सैम्पल्स, पैन कार्ड और आधार कार्ड होगा।
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4.5 लाख केस हैं शामिल
देश में यौन अपराधों के दोषियों की निजी जानकारी डेटा के रूप में रखने के लिए नेशनल रजिस्ट्री ऑफ सेक्शुअल ऑफेंडर्स (एनआरएसओ) की आज से शुरुआत हो जाएगी। इस डेटाबेस में 4.5 लाख केस हैं, जिसमें पहली बार के अपराधी और बार-बार के अपराधी की भी प्रोफाइल है। इसे देश भर के जेलों से इकट्ठा किया गया है। इससे यह पता लगेगा कि वह समुदाय के लिए कितने खतरनाक है।
इस डेटाबेस को नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ओर से मेंटेन किया जाएगा। इसे कानून प्रवर्तन एजेंसियां अलग-अलग उद्देश्य से प्रयोग करेंगी। आपको बता दें कि इस तरह की रजिस्ट्री इससे पहले ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, आयरलैंड, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका और त्रिनिदाद और टोबैगो जैसे देश करते हैं। भारत में यह रजिस्ट्री केवल जांच एजेंसियों के लिए उपलब्ध रहेगी। अमरीका में इस तरह का डेटाबेस एफबीआई के साथ आम लोगों के लिए उपलब्ध रहता है।
इस तरह रखा जाएगा डेटा
भारत की इस रजिस्ट्री में…
– 15 साल के कानून खतरनाक केस,
– 25 साल तक के मध्यम खतरे और
– बार-बार दोषी ठहराए जाने वाले, हिंसक अपराधियों, गैंगरेप के दोषियों और संरक्षण में बलात्कार के दोषियों का पूरी जिंदगी केस रखा जाएगा।
इसके अलावा गिरफ्तार और चार्जशीट दोषियों के भी डेटा रखेगी। यही नहीं आगे चलकर इसमें नाबालिक दोषियों को भी शामिल किया जाएगा।
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सरकार बताएगी ‘महिला सुरक्षा’ को सर्वोच्च प्राथमिकता
2015 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामले 3,29,243 से बढ़कर 2016 तक आते-आते 3,38,954 हो गए हैं। माना जा रहा है कि इस डेटाबेस के लॉन्च के साथ, सरकार अगले साल चुनाव से पहले लोगों को यह संदेश देना चाहती है कि महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा इसकी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
अप्रैल में हुई थी शुरुआत
इस तरह के डेटाबेस को तैयार करने का निर्णय इस साल अप्रैल में लिया गया था, जब जम्मू कश्मीर के कठुआ सहित कई जगह से नाबालिगों से रेप सहित रेप के दूसरे मामले तेजी से सामने आ रहे थे। इसी दौरान १२ साल से कम उम्र की लड़की के साथ रेप पर मौत की सजा के प्रावधान पर कैबिनेट ने मुहर लगाई थी।

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