देश में यौन अपराधों के दोषियों की निजी जानकारी डेटा के रूप में रखने के लिए नेशनल रजिस्ट्री ऑफ सेक्शुअल ऑफेंडर्स (एनआरएसओ) की आज से शुरुआत हो जाएगी। इस डेटाबेस में 4.5 लाख केस हैं, जिसमें पहली बार के अपराधी और बार-बार के अपराधी की भी प्रोफाइल है। इसे देश भर के जेलों से इकट्ठा किया गया है। इससे यह पता लगेगा कि वह समुदाय के लिए कितने खतरनाक है।
भारत की इस रजिस्ट्री में…
– 15 साल के कानून खतरनाक केस,
– 25 साल तक के मध्यम खतरे और
– बार-बार दोषी ठहराए जाने वाले, हिंसक अपराधियों, गैंगरेप के दोषियों और संरक्षण में बलात्कार के दोषियों का पूरी जिंदगी केस रखा जाएगा।
इसके अलावा गिरफ्तार और चार्जशीट दोषियों के भी डेटा रखेगी। यही नहीं आगे चलकर इसमें नाबालिक दोषियों को भी शामिल किया जाएगा।
2015 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामले 3,29,243 से बढ़कर 2016 तक आते-आते 3,38,954 हो गए हैं। माना जा रहा है कि इस डेटाबेस के लॉन्च के साथ, सरकार अगले साल चुनाव से पहले लोगों को यह संदेश देना चाहती है कि महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा इसकी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
इस तरह के डेटाबेस को तैयार करने का निर्णय इस साल अप्रैल में लिया गया था, जब जम्मू कश्मीर के कठुआ सहित कई जगह से नाबालिगों से रेप सहित रेप के दूसरे मामले तेजी से सामने आ रहे थे। इसी दौरान १२ साल से कम उम्र की लड़की के साथ रेप पर मौत की सजा के प्रावधान पर कैबिनेट ने मुहर लगाई थी।