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भारत ने तोड़ दी अंतरराष्ट्रीय ड्रग स्मगलर्स की कमर

पत्रिका के विशेष संवाददाता अनुराग मिश्रा ने डीडीजी ऑपरेशन्स नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ऑफ इंडिया से खास बात की।

Oct 05, 2017 / 05:54 pm

ashutosh tiwari

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नई दिल्ली। देश में ड्रग्स तस्करी के मामले सरकार के लिए लगातार चिंता का विषय बना हुआ है। इस मामले में पत्रिका के विशेष संवाददाता अनुराग मिश्रा ने वरिष्ठ आईपीएस अफसर और डीडीजी ऑपरेशन्स नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ऑफ इंडिया राजेंद्र पाल सिंह से खास बात की।
सवाल- ड्रग ट्रैफिकिंग को लेकर भारत कितना संवेदनशील है?
जवाब– ड्रग ट्रैफिकिंग को लेकर एक बात बताऊं कि बहुत कुछ हर देश के भौगोलिक परिस्थिति पर ट्रैफिकिंग इश्यूज़ निर्धारित होते हैं। इंडिया गोलडेन क्रिसेंट है जिसके पश्चिम तरह है पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान और दूसरी तरफ गोल्डन ट्रायंगल है जिसमें है बर्मा, मयांमार लेओस और थाईलैंड। इसके बीच में भारत सैंडविच है और इसी के ज़रिए जमीन के ज़रिए बड़े पैमाने पर ट्रैफिकिंग होती रही। लेकिन पिछले दो सालों में नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और बीएसएफ के संयुक्त अभियान में हमने बड़े पैमाने पर ड्रग्स सीज़ किया गया। अभी हाल ही में पंजाब में एक कार्रवाई के दौरान हमें ड्रग स्मगलर से एक-47, सिम इंडियन करेंसी और काफी बड़ी मात्रा में हेरोइन बरामद हुई। हमने बीएसएफ और बॉर्डर पर जो गांव हैं उनको भी अवेयर किया है।
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सवाल-कश्मीर में फलों की पेटी, ड्राई फ्रूट्स की पेटी में रखकर हेरोइन भेजी जा रही है
जवाब- आपने सही कहा, लेकिन कश्मीर में हमारी छोटी यूनिट है। उरी-इस्लामाबाद बार्डर पर बारामुला में ट्रेड फेसिलिटेशन सेंटर है वहां कुछ प्रयास किया गया है लेकिन हमने लोकल पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्सेज के साथ जब सख्ती की तो अब कमी आई है। लैंड के ज़रिए स्मगलिंग में कमी है लेकिन अब इंटरनेशन स्मगलर्स समंदर के रास्ते अपने काम को अंजाम देने की कोशिश कर रहे हैं।
सवाल-आपने जब से मोर्चा संभाला है तब से जानलेवा ड्रग्स की कितनी खेप बरामद की गई है?
जवाब- 2015 में महत्वपूर्ण सुराग पर कोस्ट गाड्र्स की सहायता से हमने 232 किलो हेरोइन गुजरात बार्डर पर पकड़ी। अभी हाल ही में 31 जुलाई को 1445 किलो हेरोइन सीज़ की गई। पूरा शिप वेसेल सीज़ किया गया। हमारे लिए तो एक रद्दी है हम इसे जला देते हैं लेकिन हमारी सफलता बड़ी थी, क्योंकि इसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में दो हज़ार करोड़ से ज़्यादा है।

सवाल-युवाओं में ड्रग्स के खिलाफ जागरूकता के लिए क्या कर रहे हैं?
जवाब-आपने बहुत सही सवाल पूछा है, देखिए वैसे तो जब हम स्कूलों में जाते हैं तो अपनी प्रतिष्ठा बचाने के चक्ïकर में स्कूल के प्रिंसपल साफ साफ कुछ नहीं बताते। इसके बावजूद हमारे एनसीबी के अफसर जागरूकता अभियान स्कूलों में चला रहे हैं। लेकिन हमारी निराशा है कि कई प्रतिष्ठित विद्यालयों को जब हम बुलाते हैं तो हमारा सहयोग नहीं करते जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। अभिभावकों के पास भी बच्चों को देने के लिए पैसा तो बहुत है लेकिन वो समय नहीं देते जिसकी वजह से ड्रग्स की समस्या बच्चों में बढ़ रही है।
सवाल- राजस्थान भी ड्रग्स स्मगलरों की पसंदीदा जगह है?
जवाब- देखिए जोधपुर , अजमेर में हमारा विंग काम कर रहा है और हमने लोकल पुलिस को काफी मदद की है। ओपियम की, हेरोइन खेप पकड़ी है, लेकिन राजस्थान में अफीम की वैध खेती भी हो रही। इस वैध खेती को स्मगल ना किया जा सके इसके लिए हमारी इंटेलिजेंस विंग राजस्थान के किसानों पर नजऱ रखता है और जो न्यूनतम पैदावार निर्धारित है उसका आंकड़ा किसानों को देना पड़ता है।

सवाल- इंटरनेशनल स्तर पर ड्रग ट्रैफिकिंग रोकने के लिए आपने क्या कदम उठाए हैं?
जवाब-देखिए अभी कई देशों के डेलीगेशन हमने भारत में आमंत्रित किया साथ ही अंतरराष्ट्रीय फोरम पर ये जानने की कोशिश की कि कौन कौन सी ड्रग मार्केट में उतारने की कोशिश हो रही है। हम जो प्रयास कर रहे हैं ड्रग ट्रैफिकिंग रोकने के लिए वो साझा करते हैं। सभी देश खास कर यूरोपियन और अमेरिका हमें इंटेलिजेंस इनपुट समय समय पर शेयर करते हैं और अपने देश में भी वो लोग काफी सख्ती कर रहे हैं।

सवाल- किन देशों द्वारा ड्रग की बड़ी खेप विश्व में भेजी जाती है?
जवाब- आपको जानकर हैरानी होगी कि पूरे विश्व की 80 फीसदी हेरोइन अफगानिस्तान में होती है। सबसे हार्ड ड्रग कोकीन तीन देशों पेरू, बोलिविया, कोलंबिया से निकलती है। मेथापोटमिन म्यांमार, यूरोप से निकलती है जितने विकसित देश हैं वो इस मामले में ज़्यादा मुश्किल झेल रहे हैं। इसलिए ये देश हमारे साथ बेहतर को आर्डिनेशन के साथ इसे रोकने के लिए काम कर रहे हैं।

सवाल- आतंकवाद भी ड्रग्स के ज़रिए पनप रहा है?
जवाब- ड्रग ट्रैफिकिंग तो मनी लान्डरिंग, टेरर गु्रप्स को फंड करना बड़ा ज़रिया है। खासकर आईएसआईएस, अल कायदा, तालिबान को अफीम, ड्रग की खेती के ज़रिए अपने को मज़बूत किया और इनकी इस हरकत पर लगाम लगाने के लिए हम सख्ती कर रहे हैं।

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