शिक्षा-प्रणाली के मामले में किसी का उपदेश स्वीकार्य नहीं
सैयद अल्ताफ बुखारी ने शनिवार को एक आधिकारिक कार्यक्रम में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि सेना को अपने काम पर ध्यान देना चाहिए और राज्य की शिक्षा प्रणाली में दखल नहीं देना चाहिए। बुखारी ने कहा, ‘शिक्षा के क्षेत्र में हस्तक्षेप करने के बजाय सेना को अपने काम पर ध्यान देना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि उन्हें बॉर्डर की सुरक्षा का ध्यान देना चाहिए, अगर बॉर्डर सुरक्षित होगा तो हिंसा की घटनाएं खुद ही कम हो जाएंगी। मंत्री ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि हर कोई शिक्षा क्षेत्र को लेकर टिप्पणी करता है, जो स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि शिक्षा राज्याधिकारों के अंतर्गत आता है , इसलिए इस क्षेत्र से जुड़े सभी मामलों में काम करने के लिए उन लोगों को छोड़ देना चाहिए, जिनको इसकी जिम्मेदारी दी गई है। उन्होंने कहा वो इस विषय में किसी का उपदेश नहीं सुनना चाहते।
‘बच्चों में कट्टरपंथी विचारधार नहीं फैलाये जा रहे‘
शिक्षामंत्री ने कहा मैं नहीं जनता उन्होंने क्या कहा और किस लहजे में कहा, नाही मुझे पता है कि कहां और किस सम्मेलन में उन्होंने ये बातें कही हैं, लेकिन मैं इतना जानता हूं कि यहां पढ़ने वाले बच्चों को कट्टरपंथी विचारधारा का पाठ नहीं पढ़ाया जा रहा। हमारे यहां शिक्षा-प्रणाली में कोई कमी नहीं है और हमारे बच्चे अतिवाद कि तरफ बिलकुल नहीं बढ़ रहें।
सेना प्रमुख ने उठाये थे कश्मीर में शिक्षा-व्यवस्था पर सवाल
गौरतलब है कि सेना दिवस के पूर्व शुक्रवार को नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि जम्मू एवं कश्मीर के विद्यालयों में बच्चो को कुछ ऐसा पढ़ाया जाता है जो कि नहीं पढ़ाया जाना चाहिए।उन्होंने कहा था वहां विद्यार्थियों को दो अगल-अलग मानचित्रों के बारे में पढ़ाया जाता है -एक भारत का मानचित्र और दूसरा जम्मू एवं कश्मीर का। सेना प्रमुख ने कहा था कि आतंकवाद रोकने के लिए जम्मू एवं कश्मीर में शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने की जरूरत है। उन्होंने मदरसों और मस्जिदों पर भी निगरानी की जरूरत बताई। उन्होंने कहा था कि बच्चों में इस तरह की शिक्षा प्रणाली से कट्टरता फैल रही है।