अभी तक की जानकारी के अनुसार, भारी बारिश ( Heavy Rain ) के कारण विमान रनवे से फिसल गया और खाई में जा गिरा। इससे विमान के दो टुकड़े हो गए। फिलहाल, DGCA ने जांच के आदेश दे दिए हैं। हादसे के कारणों को पता नहीं चल सका है, पर इन सबके बीच एक बड़ी जानकारी सामने आई है।
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इस इंडस्ट्री के विशेषज्ञों ने शुरूआती तौर पर इस ओर इशारा किया है कि सरकार ने 2011 में कोझीकोड एयरपोर्ट को हाई रिस्क वन के रूप में चिह्नित किया था। 2010 में मैंगलोर हवाई अड्डे में एयर इंडिया एक्सप्रेस का विमान हादसे का शिकार हो गया था। इस हादसे में 158 लोग मारे गए थे।
2011 में सरकार ने 11 एयरपोर्ट को सुरक्षा के लिए बताया था खतरा
2010 में हुए इस दुर्घटना के एक साल बाद यानि 2011 में उद्योग नियामक DGCA ने कोझिकोड एयरपोर्ट को 11 हवाई अड्डों में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया था, जो देश में उड़ान संचालन के लिए सुरक्षा जोखिम पैदा करता है। कोझीकोड के अलावा, लेह, कुल्लू, शिमला, पोर्ट ब्लेयर, अगरतला, लेंगपुई, मैंगलोर, जम्मू, पटना और लातूर में हवाई अड्डों का नाम इस सूची में शामिल था।
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आपको बता दें कि पिछले साल जुलाई 2019 में कोझीकोड में एक और एयर इंडिया एक्सप्रेस की उड़ान हादसे का शिकार होते-होते बाल-बाल बच गया था। एयर इंडिया की फ्लाइट का पिछला हिस्सा लैंडिंग के दौरान रनवे से टच हो गया था। हालांकि विमान को कोई नुकसान नहीं पहुंचा था और सभी यात्री सुरक्षित थे।
बता दें कि कोझिकोड हवाई अड्डा एक पहाड़ी पर स्थित एक टेबल-टॉप हवाई अड्डा है। इन हवाई अड्डों में उड़ान के लिए पायलटों को अतिरिक्त युद्धाभ्यास की आवश्यकता होती है। पायलटों के लिए विमान को उड़ाना तब और भी कठिन हो जाता है जब मौसम खराब होता है।