क्यों पैदल घर वापस लौटने का लिया फैसला दरअसल, पीएम मोदी की ओर से दो दिन पहले लॉकडाउन की घोषणा होते ही ट्रेन, बसें, हवाईजहाजों, मेट्रो व परिवहन के अन्य साधनों पर भी ब्रेक लग गया। दूसरी तरफ काम ठप होने की वजह से गुजरात में काम करने वाले हजारों मजदूर के सामने रोटी के लाले भी पड़ गए। ऐसे में मजदूरों के सामने काम के अभाव में घर वापस लौटने के सिवाय और कोई चारा नहीं बचा।
ताज्जुब की बात ये है इन मजदूरों की सहायता के लिए न तो गुजरात सरकार, न कंपनी के प्रबंधक व फैक्ट्री मालिक और न हीं गैर सरकार संगठन के लोग आगे आएं। मजबूरन प्रवासी मजदूरों को वहां से हजारों किलोमीटर दूर घर के लिए पैदल रवाना होना पड़ा। बता दें कि गुजरात में सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूर राजस्थान और मध्य प्रदेश रहने वाले हैं।
लॉकडाउन: DND पर लगा नया बोर्ड- इधर से सिर्फ डॉक्टर-मीडिया-एम्बुलेंस को जाने की पलायन क्यों? हालांकि लॉकडाउन की घोषणा करते वक्त पीए मोदी ने कहा था कि कोई कहीं नहीं जाएगा। जो जहां पर है वहीं रहेगा। 14 अप्रैल तक अपने घर में ही रहें। लेकिन कंपनी, फैक्ट्रियों और विनिर्माण इकाइयों में काम बंद होने से मजदूरों को काम मिलना बंद हो गया। कोई काम नहीं होने के कारण सूरत, अहमदाबाद और वडोदरा सहित गुजरात के प्रमुख शहरों से हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर पलायन को मजबूर हुए।
लॉकडाउन के कारण सभी कंस्ट्रक्शन साइट बंद बंद हैं, जहां काम करने वाले करीब 50 हजार मजदूरों में से अधिकांश दूसरे राज्यों के हैं। जानकारी के मुताबिक दाहोद और गोधरा से भी मजदूर अब अपने राज्य मध्य प्रदेश के लिए रवाना हो गए हैं।
लॉकडाउन: एम्स के पूर्व डॉक्टर नरिंदर मेहरा का दावा, कोरोना से भारत में इसलिए नहीं बढ़ेगा डेथ स्थानीय अधिकारियों के मुताबिक करीब 5 हजार लोग सूरत से निकले हैं। हीरा फैक्ट्री में काम करने वाले अधिकांश मजदूर, राजस्थान और मध्य प्रदेश के हैं। अहमदाबाद में दिहाड़ी मजदूरी करने वाले भी अब पैदल ही अपने-अपने राज्यों के लिए निकल पड़े हैं। राज्य सरकार के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि कुछ जगहों पर पुलिस और कुछ स्वयंसेवी संस्थाएं इनके लिए खाने-पीने के इंतजाम कर रहे हैं।
गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष दोषी ने बताया कि राजस्थान सरकार ने वापस लौट रहे मजदूरों के लिए बसों का इंतजाम किया है। गुजरात में कोरोना वायरस के मामलों में इजाफा हुआ है।