दरअसल, पश्चिम बंगाल से जुड़े डॉक्टरों, हेल्थ साइंटिस्टों और स्वास्थ्यकर्मियों के समूह ने अपने पत्र में कहा है कि पिछले एक-डेढ़ हफ्ते में हमने पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति पर आई रिपोर्ट्स और चिंताओं पर गौर किया। यहां दो गंभीर मामले हैं जिनको लेकर हम चिंतित हैं। पहला पश्चिम बंगाल में कम कोविड-19 टेस्टिंग और दूसरा है कोरोना मरीजों की मौत के कारण पर आंकड़ों की गलत जानकारी।
एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए डॉक्टरों ने कहा कि पश्चिम बंगाल ने रोजाना प्रति दस लाख आबादी में लगभग 33.7 परीक्षण किए हैं। जबकि राष्ट्रीय औसत लगभग 156.9 प्रति दस लाख है जबकि राज्य में एक दिन में लगभग 1,000 परीक्षण करने की क्षमता है। पत्र में कहा गया है कि वास्तव में प्रभावित मामलों की संख्या परीक्षण की सीमा, परीक्षण के परिणामों की सटीकता और विशेष रूप से बिना लक्षण वाले मामलों के परीक्षण की फ्रीक्वेंसी और पैमाने पर निर्भर करती है।