1. मार्स 2020 मिशन
– नासा के ‘मार्स 2020 मिशन’ के तहत छोड़ा गया उपग्रह 18 फरवरी को मंगल की सतह पर उतरेगा।
— जुलाई 2020 को रवाना किए इस उपग्रह में पर्सीवेरेंस रोवर और इनजेन्यूटी हेलीकॉप्टर शामिल हैं।
– यह उपग्रह मंगल पर जीवन की संभावनाएं तलाशेगा और यह पता लगाए कि क्या वहां पहले जीवन था।
– फरवरी में ही चीन का तियानवेन-1 (अंतरिक्ष के सच की खोज) रोवर मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश करेगा।
– तियानवेन-1 मंगल की सतह पर 23 अप्रेल (संभावित) को उतरने का प्रयास करेगा। यह मंगल ग्रह पर चीन का पहला मिशन है।
– इसका उद्देश्य ग्रह की भूगर्भीय संरचना, मिट्टी और पानी के बारे में अध्ययन करना है।
– संयुक्त अरब अमीरात का होप मिशन के 9 फरवरी को मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश करने और कुछ समय वहीं रहने की उम्मीद है।
– मंगल के लिए शुरू हुआ होप मिशन जुलाई 2020 में लॉन्च किया गया था।
– मंगल पर यूएई का यह पहला मिशन है।
– इसके उद्देश्यों में वहां के वातावरण और जलवायु का अध्ययन करना शामिल है।
– जुलाई 2019 में चंद्रयान-2 मिशन के दौरान विक्रम लैंडर के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद भारत एक बार फिर चांद पर कदम रखने की कोशिश में चंद्रयान-3 मिशन शुरू कर सकता है। – वर्ष की पहली तिमाही में ही नासा अपना कैप्सटन (सिसलूनर ऑटोनॉमस पोजीशनिंग सिस्टम टेक्नोलॉजी ऑपरेशन एंड नेवीगेशन एक्सपेरिमेंट) मिशन लॉन्च करेगा। कैप्सटन एक ऑर्बिटर है जो लूनर गेटवे कही जाने वाली चंद्रमा की कक्षा में प्रस्तावित अंतरिक्ष स्टेशन के लिए कक्षीय स्थिरता का परीक्षण और पुष्टि करेगा।
चांद की दौड़ में निजी कंपनियां भी पीछे नहीं
– जर्मनी की पीटीसाइंटिस्ट एरियन 6 रॉकेट जिसे यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने एयरबस-सफरान के संयुक्त उपक्रम एरियन ग्रुप समेत करीब 600 कंपनियों के साथ मिलकर तैयार किया है के जरिए रोबोटिक लैंडर एलिना को लॉन्च करने की तैयारी में है।
नासा द्वारा जुलाई में डबल एस्टेरॉयड रिडायरेक्शन टेस्ट (डार्ट) मिशन नामक ‘प्लेनेटरी डिफेंस टेस्ट’ लॉन्च करने की भी उम्मीद है। इसका लक्ष्य 65803 डिडीमोस नामक एक क्षुद्रग्रह का चंद्रमा है, जो पृथ्वी से लगभग 11 मिलियन किलोमीटर दूर है। यह अंतरिक्ष में ही किसी क्षुद्र ग्रह की दिशा को बदलने वाली काइनेटिक इंपैक्टर टेकनीक का पहला प्रदर्शन होगा। इस मिशन का उद्देश्य पृथ्वी से टकराने वाले किसी क्षुद्र ग्रह के खतरे और नुकसान को कम करने के लिए समय रहते उसकी दिशा बदलना है।
– नासा ने इन क्षुद्रग्रहों को हमारे सौर मंडल के जन्म से 4 अरब साल पहले वाले टाइम कैप्सूल बताया है। क्योंकि उन्हें ‘बाहरी ग्रहों को बनाने वाली सामग्री का अवशेष माना जाता है।
इसरो
इसरो 2021 में पहली बार अपना नया स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएसएलवी) लॉन्च करेगा। स्मॉल लॉन्चर 500 किलोग्राम से कम के पेलोड को पृथ्वी की कक्षा में पहुंचाने के लिए बनाया गया है, और यह छोटे सूक्ष्म और नैनो उपग्रहों के प्रक्षेपण के काम आएगा।
– नासा अब तक के अपने सबसे जटिल अभियानों में से एक को अंजाम देने में जुटा है, जो बेहद गहराई से अंतरिक्ष का अध्ययन करने की राह खोलेगा। नासा के अनुसार, आर्टेमिस 1 ‘अंतरिक्ष को गहराई से खंगालने की नासा की तमाम प्रणालियों का पहला एकीकृत परीक्षण होगा।
– चीन अपने तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन कार्यक्रम के तहत चीनी अंतरिक्ष स्टेशन (सीएसएस) का निर्माण शुरू करेगा। 2021 में तियानहे कोर मॉड्यूल या मुख्य केबिन और संभावता वेंटियन लैब मॉड्यूल भी लॉन्च करने की योजना भी बनाई गई है।
– स्पेन (रिकवरेबल मिउरा-1), दक्षिण कोरिया (नूरी) और यूक्रेन (साइक्लोन-4 एम) में भी नए रॉकेटों की पहली उड़ान होगी जो इन देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों की तरफ से संचालित होगी। कोरोना संकट के बीच देशभर में एक बार फिर लगा लॉकडाउन, डेढ महीने के लिए लगाई गईं कई पाबंदियां