PoK को युद्ध से नहीं, विकास से करेंगे हासिल: सत्यपाल मलिक
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एक अधिकारी ने बताया कि यह परियोजना रक्षा मंत्रालय की है और इसकी फंडिंग भी वही करेगा। बजट का अनुमान लगाया जा रहा है। इस परियोजना के पीछे सरकार का उद्देश्य शहरों और आंतरिक इलाकों के नागरिकों को सीमांत क्षेत्रों की संस्कृति, इतिहास और मानव भूगोल के बारे में जागरूक करना है।
रिपोर्ट के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय ने केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली एक स्वायत्त संस्था एनएमएमएल को इस परियोजना की नोडल एजेंसी के तौर पर चुना है। आम नागरिकों को और संबंधित अधिकारियों को सीमा की बेहतर समझ उपलब्ध कराने के लिए लाई गई परियोजना रक्षा मंत्रालय की ओर से सोची गई थी।
सूत्रों के अनुसार, नई दिल्ली के साउथ ब्लॉक में हुई बैठक में एनएमएमएल प्रतिनिधियों के अलावा भारतीय ऐतिहासिक शोध परिषद के साथ-साथ गृह, विदेश और रक्षा मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।
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वहीं, इस मामले में रक्षा मंत्रालय ने ट्वीट भी किया। मंत्रालय ने ट्वीट कर बताया, ‘प्रस्ताव दिया गया है कि इस परियोजना में सीमा के विभिन्न पहलुओं को लिया जाएगा। इनमें सीमाओं का निर्माण, निर्माण और विच्छेदन करना और सीमा परिवर्तन, सुरक्षा बलों की भूमिका, जातीयता, सीमावर्ती लोगों के जीवन में संस्कृति और सामाजिक-आर्थिक पहलुओं सहित उनकी भूमिका शामिल हैं।’