नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रीय गान को सुप्रीम कोर्ट समेत सभी कोर्ट में लागू किए जाने की याचिका पहुंची है। कोर्ट ने इस मामले सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। इस मामले को लेकर एजी मुकुल रोहतगी को बुलाया गया। कोर्ट ने कहा कि पिछला आदेश भी एली की उपस्थिति में दिया था। एजी ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि इस पर सुनवाई हो।
भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने कोर्ट में यह अर्जी दी है। उपाध्याय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा आदेश दिया है और इसे सभी कोर्ट में शुरू किया जाए। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय गान से जुड़े एक अहम आदेश में बुधवार को कहा कि देशभर के सभी सिनेमाघरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रीय गान जरूर बजेगा।
कोर्ट ने कहा था, लोगों को सीखना जरूरी
बता दें कि फैसले के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि इन दिनों लोग राष्ट्रीय गान को कैसे गाया जाता है, यह भूल गए हैं। लोगों के लिए यह सीखना जरूरी है। हमें अपने राष्ट्रीय गान का सम्मान करना चाहिए। राष्ट्रगान बजने के दौरान सिनेमा स्क्रीन पर राष्ट्रीय ध्वज को दिखाना भी अनिवार्य है। कोर्ट ने अपने निर्देश में कहा था कि राष्ट्रगान का व्यसायिक फायदे के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। आपत्तिजनक चीजों पर राष्ट्रगान को मुद्रित नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि सिनेमा होलो में संक्षिप्त नहीं पूरा राष्ट्रगान बजाना जरूरी है।
किसने डाली थी जनहित याचिका
– राष्ट्रगान के लिए सुप्रीम कोर्ट में भोपाल के रहने वाले श्याम नारायण चौकसे ने पीआईएल डाली थी। इसमें सुप्रीम कोर्ट से देशभर के सिनेमा हॉलों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाए जाने का आदेश देने की मांग की गई थी।
पहले सिनेमा घरों में बजाया जाता था राष्ट्रगान
– बता दें कि 1960 के दशक में सिनेमा घरों में राष्ट्रगान बजाने की शुरुआत हुई।
– ऐसा सैनिकों के सम्मान और लोगों में राष्ट्रप्रेम की भावना जगाने के लिए होता था।
– हालांकि, बाद में शिकायतें और राष्ट्रगान के अपमान होने के बाद, करीब 40 साल पहले सरकार ने इसे बंद करवा दिया था।
– वैसे 2003 में महाराष्ट्र सरकार ने भी इसके लिए नियम बनाया। जिसके तहत सिनेमा हॉल में मूवी से पहले राष्ट्रगान बजाना और इस दौरान लोगों का खड़े रहना जरूरी किया गया।
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