थाईलैंड की खतरनाक गुफा में 5 दिनों से फंसे हैं 12 फुटबॉलर, दुआओं में जुटा पूरा देश ये थे विधायकों के तर्क – यदि मामले की सुनवाई मद्रास हाईकोर्ट में होती है तो फैसला आने में देरी हो सकती है।
– मद्रास हाईकोर्ट में विधायकों ने सही न्यायिक निर्णय ना हो पाने का भी आरोप लगाया था।
देश में बढ़े हिंदी को मातृभाषा मानने वाले, खराब हुई उर्दू की हालत …इस आधार पर अयोग्य हुए थे विधायक धनपाल ने भारत के संविधान की दसवीं अनुसूची और तमिलनाडु विधानसभा (शुद्धता के आधार पर अयोग्यता) नियम, 1986 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए इन विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था।
यूजीसी को हटाकर हायर एजुकेशन में बड़े बदलाव की तैयारी में मोदी सरकार …ऐसे बढ़ा मामला 22 अगस्त 2017 को याचिकाकर्ताओं और तत्कालीन प्रभारी राज्यपाल सी विद्यासागर राव के बीच एक बैठक से अयोग्यता कार्यवाही की शुरुआत हुई। इस बैठक के दौरान विधायकों ने राज्यपाल को मुख्यमंत्री को अपना समर्थन वापस लेने के समान प्रतिनिधित्व सौंपे। इसके बाद अन्य विधायकों ने प्रेस ब्रीफिंग के जरिए मुख्य सरकार व्हिप एस राजेंद्रन को स्पीकर के सामने याचिका दायर करने के लिए प्रेरित किया था। इसके साथ ही 19 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की थी। हालांकि अयोग्य घोषित हुए विधायकों ने कहा कि राज्यपाल को प्रस्तुतिकरण जमा करना उनकी सदस्यता छोड़ने के समान नहीं है।