मंगलवार को चीफ जस्टिस एनवी रमना की अगुवाई में शीर्ष अदालत की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने केरल कामगार पत्रकारों द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पूछा कि क्या आपके पास मेडिकल रिकॉर्ड्स हैं?
Coronavirus: सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान मामले में सीनियर एडवोकेट जयदीप गुप्ता और मीनाक्षी अरोड़ा को बनाया एमिकस क्यूरी
न्यायमूर्ति रमना ने कहा, ” आप (एसजी, उत्तर प्रदेश सरकार) ने मामले में आरोपी की मेडिकल रिपोर्ट दाखिल करने को कहा और मामले को स्थगित कर दिया। इधर, उत्तर प्रदेश सरकार ने कप्पन की पत्नी के उस दावे से इनकार कर दिया कि आरोपी को एक खाट से जंजीर में बांध कर जानवरों की तरह रखा गया है।
कप्पन के वकील, विल्स मैथ्यूज ने कहा कि 21 अप्रैल को कप्पन कोरोना पॉजिटिव पाया गया था। जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया। उन्होंने कहा कि कप्पन को हाथरस के निकट एक टोल प्लाजा पर गिरफ्तार किया गया था। बता दें कि पिछले साल अक्टूबर में हाथरस में 19 वर्षीय लड़की की कथित गैंगरेप और हत्या को कवर करने के लिए रिपोर्टिंग असाइनमेंट के सिलसिले में उत्तर प्रदेश आए थे। यूपी पुलिस ने कप्पन के खिलाफ यूएपीए के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की है।
कप्पन की पत्नी ने लगाए गंभीर आरोप
सिद्दीकी कप्पन की पत्नी रेहंथ कप्पन ने आरोप लगाया है कि मथुरा के एक अस्पताल में कोविड-19 का इलाज करा रहे कप्पन को बिस्तर से बांधकर रखा गया है और वह ना ही भोजन करने में समर्थ हैं और ना ही शौचालय का उपयोग कर पा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जीएसटी कानून के तहत बैंक खाते व संपत्ति को जब्त करने का आदेश काफी कठोर
इस मामले पर पत्रकार संघ एडिटर्स गिल्ड ने मांग की कि कप्पन को उचित चिकित्सा देखभाल उपलब्ध कराया जाए और उनके साथ गरिमापूर्ण व्यवहार किया जाना चाहिए। गिल्ड ने कप्पन की पत्नी द्वारा लगाए गए आरोपों के संबंध में एक बयान में कहा ‘‘यह स्तब्ध करने वाला और राष्ट्र की अंतरात्मा को झकझोर देने वाला है कि एक पत्रकार के साथ ऐसे अमानवीय तरीके से पेश आया जा रहा है और उनके मूल अधिकारों का हनन हो रहा है।’’