
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली। नागरिकता कानून को लेकर देशभर से अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही है। कई राजनीतिक दलों ने इस का जमकर विरोध किया है। पूर्वोत्तर राज्यों के साथ-साथ कई अन्य राज्यों ने भी इस अधिनियम को लागू करने से इनकार कर दिया है।
खास बात यह है कि ये पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) तक पहुंच गया। लेकिन उससे भी ज्यादा बड़ी खबर जो इस वक्त सामने आ रही है वो ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बड़ा फैसला दिया है।
मगंलवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम देश में होने वाली हर घटना पर ध्यान नहीं दे सकते।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि क्या उन्होंने अपनी अपील के लिए पहले हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पहले हाईकोर्ट में इस मामले को लेकर जाएं। हर मुद्दे पर सीधे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा ना खटखटाएं।
सर्वोच्च न्यायालय ने ये कहा
याचिकाकर्ता से अदालत ने कहा कि आपको लीगल सिस्टम समझना होगा। ऐसे मामलों से आप हमें ट्रायल कोर्ट बना रहे हैं। इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि ये हिंसा पूरे देश में हो रही है, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट को दखल देना होगा।
याचिकाकर्ता की इस बात पर चीफ जस्टिस एस. ए. बोबड़े नाखुश हुए और कहा कि हम ऐसा नहीं करेंगे, इस तरह की भाषा का इस्तेमाल ना करें। याचिकाकर्ता ने जब कहा कि छात्रों की तरफ से हिंसा नहीं हुई है, तो चीफ जस्टिस ने पूछा कि हिंसा नहीं हुई तो बस कैसे जली थी?
आपको बता दें कि नागरिकता संशोधन बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून के रूप में लागू हो चुका है।
देशभर में इसे लेकर विरोध प्रदर्शन चरम पर है, रविवार को राजधानी दिल्ली में भी प्रदर्शनकारियों और जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्रों ने जमकर हंगामा किया।
नागरिकता कानून के विरोध में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में भी हिंसक प्रदर्शन हुए जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर की गई।
मंगलवार को उच्चतम न्यायालय ने अपील पर सुनवाई की और याचिकाकर्ताओं से कहा कि पहले वह हाई कोर्ट से संपर्क करें, हम ट्रायल कोर्ट के रूप में कार्य नहीं करते हैं।
Updated on:
17 Dec 2019 03:16 pm
Published on:
17 Dec 2019 12:47 pm
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