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टू प्लस टू वार्ता: समुद्री और आसमानी सुरक्षा के लिए अमेरिका और भारत ने मिलाया हाथ

चीन की ओर से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ाई जा रही उपस्थिति के बीच समुद्रों और आसमान की सुरक्षा के लिए अमेरिका और भारत ने जापान, आस्ट्रेलिया और आसियान देशों के साथ सवाद विषय पर चर्चा की।

Sep 11, 2018 / 09:36 pm

Navyavesh Navrahi

two plus two

टू प्लस टू वार्ता: समुद्रों और आसमान की सुरक्षा को अमेरिका और भारत ने मिलाया हाथ

‘टू प्लस टू’ वार्ता में भारत और अमेरिका ने समुद्रों और आसमान की सुरक्षा, सुशासन और आर्थिक सुरक्षा को बढ़ावा देने पर विस्तृत बातचीत की। इस दौरान जापान, ऑस्ट्रेलिया और आसियान देशों के साथ संवाद विषय पर चर्चा की गई। बता दें, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की ओर से लगातार अपनी उपस्थिति बढ़ाई जा रही है। एक मीडिया रिपोर्ट्स में समुद्र और आसमान को सुरक्षित बनाने के लिए ट्रंप प्रशासन के अधिकारी के हवाले से यह बातें सामने आई हैं।
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गौर हो, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से 6 सितंबर को अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस के साथ अहम बातचीत की गई थी। चीन संसाधनों से समृद्ध लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है। वहीं वियतनाम, फिलीपीन, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान का भी इस क्षेत्र पर दावा है।
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दक्षिण एवं मध्य एशिया के लिए प्रधान उप सहायक विदेश मंत्री एलिस वेल्स ने मीडिया को बताया कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए दोनों देशों की दृष्टि के बारे में चीन पर चर्चा की गई। अमेरिका का हिंद-प्रशांत क्षेत्र में करीब 1.4 अरब डालर का कारोबार है, वहीं उसका प्रत्यक्ष विदेशी निवेश करीब 850 अरब डालर का है।
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एक मीडिया रिपोर्ट में वेल्स के हवाले से लिखा गया है कि ‘टू प्लस टू’ वार्ता के दौरान इस बात पर चर्चा हुई कि हम किस प्रकार द्विपक्षीय, जापान के साथ त्रिपक्षीय और आसियान तथा आस्ट्रेलिया के साथ चतुर्पक्षीय रूप से समुद्रों और आसमान की सुरक्षा, सुशासन और आर्थिक सुरक्षा को बढ़ावा दे सकते हैं। वेल्स के अनुसार- अमेरिका और भारत क्षेत्रीय विकास के लिए चीन के योगदान का स्वागत करते हैं। ऐसा तब तक ही संभव है, जब तक वे उच्च मानकों का पालन करता है। जहां पारदर्शिता, कानून का शासन और सतत वित्तपोषण है।
उनके अनुसार- लेकिन इसके बजाय हम जो देखते हैं, वह क्षेत्र के विकास के लिए अर्थपूर्ण योगदान के लिए निजी क्षेत्रों के उपयोग का मौका है।

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