पीएम मोदी ने किया रामचरितमानस और कबीर के दोहे का जिक्र, जानिए क्यों?
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार शाम राष्ट्र को संबोधित( PM Modi Address to Nation ) किया।
- इस दौरान पीएम ने रामचरितमानस और कबीर का भी जिक्र किया।
- इसका क्या मकसद था, लोगों के लिए यह जानना बहुत जरूरी है।

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार शाम छह बजे राष्ट्र के नाम संबोधन ( pm modi Address to Nation ) जारी किया। कोरोना वायरस महामारी के बीच तमाम चुनौतियों, उपायों और भविष्य को लेकर चर्चा करने के साथ पीएम मोदी ने इस दौरान रामचरितमानस और कबीर के दोहे का भी जिक्र किया। हालांकि इसका क्या मतलब था, यह जानना बहुत जरूरी है।
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कबीर का दोहा
पीएम मोदी ने अपने भाषण में पहले कबीरदास के दोहे का जिक्र करते हुए लोगों को आगाह किया, "पकी खेती देखिके, गरब किया किसान। अजहूं झोला बहुत है, घर आवै तब जान।" पीएम मोदी ने इस दोहे का अर्थ भी बताया और लोगों को लापरवाही ना बरतने के लिए भी कहा।
दोहे का अर्थ
पीएम मोदी ने कहा कि कई बार लोग पकी हुई फसल देखकर ही अति आत्मविश्वास से भर जाते हैं कि अब तो काम हो गया, लेकिन जब तक फसल घर न आ जाए तब तक काम पूरा हो गया, ऐसा नहीं मानना चाहिए। कबीरदास जी के इस दोहे का अर्थ यही है। यानी जब तक सफलता पूरी न मिल जाए, काम पूरा ना हो जाए, तब तक लापरवाही नहीं करनी चाहिए। कोरोना काल में भी यह बात ध्यान रखने वाली है कि अभी महामारी खत्म नहीं हुई है इसलिए सावधानी बरतनी बहुत जरूरी है।
रामचरित मानस में लिखा है- आग, शत्रु, बीमारी इन्हें कभी छोटा नहीं समझना चाहिए।
— BJP (@BJP4India) October 20, 2020
जब तक इनका पूरा इलाज न हो जाए इन्हें हल्के में नहीं लेना चाहिए।
त्योहारों में थोड़ी सी लापरवाही हमारी खुशीयों को धूमिल कर सकती है।
इसलिए दो गज की दूरी, साबुन से हाथ धोना और मास्क पहनने का ध्यान रखिए। pic.twitter.com/DlxhZoFsHH
रामचरितमानस का उद्धहरण
इसके बाद पीएम ने रामचरितमानस का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें जहां बहुत ही शिक्षाप्रद और सीखने वाली बाते हैं, कई तरह की चेतावनियां भी दी गई है। उन्होंने एक पंक्ति कही, "रिपु रुज पावक पाप, प्रभु अहि गनिअ न छोट करि।" उन्होंने इसका अर्थ बताते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति को आग, दुश्मन, पाप यानी गलती और बीमारी को कभी छोटा नहीं समझना चाहिए। इन सभी का जब तक पूरा इलाज न हो जाए, इन्हें हल्के में कतई नहीं लेना चाहिए। कोरोना भी अभी खत्म नहीं हुआ इसलिए इसलिए याद रखिए, जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं।
क्या है पीएम मोदी का संदेश
पीएम मोदी के इन दोनों उद्धहरणों का मकसद जनता को यह समझाना था कि भले ही भारत ने कोरोना के खिलाफ जंग में काफी अच्छा प्रदर्शन किया है और देश में यह महामारी उतनी विकराल नहीं बन सकी, लेकिन देशवासियों ने अब तक जिस तरह से संयम बरता है, सावधानी बरती है, उसे नहीं भूलना चाहिए। कोरोना से बचाव के लिए जब तक वैक्सीन नहीं आ जाती, मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और बार-बार हाथ धोने जैसी सावधानियां बरतना बहुत जरूरी है। हर व्यक्ति को इसका ध्यान रखना चाहिए।
नीचे पढ़िए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन का मूल पाठः
हममें से अधिकांश लोग अपनी जिम्मेदारियों को निभाने के लिए घरों से बाहर निकल रहे हैं।
— BJP (@BJP4India) October 20, 2020
त्योहारों के इस मौसम में बाजारों में रौनक लौट रही है
लेकिन हमें भूलना नहीं है कि लॉकडाउन भले चला गया हो, वायरस नहीं गया है।
भारत आज जिस संभली हुई स्थिति में हैं, हमें उसे बिगड़ने नहीं देना है। pic.twitter.com/ovAn78n9Yc
मेरे प्यारे देशवासियों !
नमस्कार!
कोरोना के खिलाफ लड़ाई में जनता कर्फ्यू से लेकर आज तक हम सभी भारतवासियों ने बहुत लंबा सफर तय किया है। समय के साथ आर्थिक गतिविधियों में भी धीरे-धीरे तेजी नजर आ रही है। हम में से अधिकांश लोग, अपनी जिम्मेदारियों को निभाने के लिए, फिर से जीवन को गति देने के लिए, रोज घरों से बाहर निकल रहे हैं। त्योहारों के इस मौसम में बाजारों में भी रौनक धीरे-धीरे लौट रही है। लेकिन हमें ये भूलना नहीं है कि लॉकडाउन भले चला गया हो, वायरस नहीं गया है। बीते 7-8 महीनों में, प्रत्येक भारतीय के प्रयास से, भारत आज जिस संभली हुई स्थिति में हैं, हमें उसे बिगड़ने नहीं देना है, और अधिक सुधार करना है।
आज देश में रिकवरी रेट अच्छी है, Fatality Rate कम है। भारत में जहां प्रति दस लाख जनसंख्या पर करीब 5500 लोगों को कोरोना हुआ है, वहीं अमेरिका और ब्राज़ील जैसे देशों में ये आंकड़ा 25 हजार के करीब है। भारत में प्रति दस लाख लोगों में मृत्युदर 83 है, जबकि अमेरिका, ब्राज़ील, स्पेन, ब्रिटेन जैसे अनेक देशों में ये आंकड़ा 600 के पार है। दुनिया के साधन-संपन्न देशों की तुलना में भारत अपने ज्यादा से ज्यादा नागरिकों का जीवन बचाने में सफल हो रहा है। आज हमारे देश में कोरोना मरीजों के लिए 90 लाख से ज्यादा बेड्स की सुविधा उपलब्ध है। 12,000 Quarantine Centres हैं। कोरोना टेस्टिंग की करीब 2000 लैब्स काम कर रही हैं। देश में टेस्ट की संख्या जल्द ही 10 करोड़ के आंकड़े को पार कर जाएगी। कोविड महामारी के खिलाफ लड़ाई में टेस्ट की बढ़ती संख्या हमारी एक बड़ी ताकत रही है।
सेवा परमो धर्म: के मंत्र पर चलते हुए हमारे doctors, हमारे nurses हमारे health workers हमारे सुरक्षाकर्मी और भी सेवाभाव से काम करनेवाले लोग इतनी बड़ी आबादी की निस्वार्थ सेवा कर रहे हैं। इन सभी प्रयासों के बीच, ये समय लापरवाह होने का नहीं है। ये समय ये मान लेने का नहीं है कि कोरोना चला गया, या फिर अब कोरोना से कोई खतरा नहीं है। हाल के दिनों में हम सबने बहुत सी तस्वीरें, वीडियो देखे हैं जिनमें साफ दिखता है कि कई लोगों ने अब सावधानी बरतना या तो बंद कर दिया है, या बहुत ढिलाई ले आए हैं। ये बिल्कुल ठीक नहीं है। अगर आप लापरवाही बरत रहे हैं, बिना मास्क के बाहर निकल रहे हैं, तो आप अपने आप को, अपने परिवार को, अपने परिवार के बच्चों को, बुजुर्गों को उतने ही बड़े संकट में डाल रहे हैं। आप ध्यान रखिए, आज अमेरिका हो, या फिर यूरोप के दूसरे देश, इन देशों में कोरोना के मामले कम हो रहे थे, लेकिन अचानक से फिर से बढ़ने लगे और चिन्ताजनक वृद्धि हो रही है।
साथियों, संत कबीरदास जी ने कहा है-पकी खेती देखिके, गरब किया किसान। अजहूं झोला बहुत है, घर आवै तब जान। अर्थात, कई बार हम पकी हुई फसल देखकर ही अति आत्मविश्वास से भर जाते हैं कि अब तो काम हो गया। लेकिन जब तक फसल घर न आ जाए तब तक काम पूरा नहीं मानना चाहिए। यही कबीरदास जी कहकर गए हैं। यानि जब तक सफलता पूरी न मिल जाए, लापरवाही नहीं करनी चाहिए।
साथियों, जब तक इस महामारी की वैक्सीन नहीं आ जाती, हमें कोरोना से अपनी लड़ाई को रत्तीभर भी कमजोर नहीं पड़ने देना है। बरसों बाद हम ऐसा होता देख रहे हैं कि मानवता को बचाने के लिए युद्धस्तर पर पूरी दुनिया में काम हो रहा है। अनेक देश इसके लिए काम कर रहे हैं। हमारे देश के वैज्ञानिक भी vaccine के लिए जी-जान से जुटे हैं। भारत में अभी कोरोना की कई वैक्सीन्स पर काम चल रहा है। इनमें से कुछ एडवान्स स्टेज पर हैं। आशास्वत स्थिति दिखती है।
साथियों, कोरोना की vaccine जब भी आएगी, वो जल्द से जल्द प्रत्येक भारतीय तक कैसे पहुंचे इसके लिए भी सरकार की तैयारी जारी है। एक-एक नागरिक तक vaccine पहुंचे, इसके लिए तेजी से काम हो रहा है। साथियों, रामचरितमानस में बहुत ही शिक्षाप्रद बाते हैं, सीखने जैसी बाते हैं। लेकिन साथ-साथ अनेक प्रकार की चेतावनियाँ भी हैं जैसे रामचरितमानस में बहुत बड़ी बात कही गई है। रिपु रुज पावक पाप, प्रभु अहि गनिअ न छोट करि। अर्थात, आग, शत्रु, पाप यानि कि गलती और बीमारी, इन्हें कभी छोटा नहीं समझना चाहिए। जब तक इनका पूरा इलाज न हो जाए, इन्हें हल्के में नहीं लेना चाहिए। इसलिए याद रखिए, जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं। त्योहारों का समय हमारे जीवन में खुशियों का समय है, उल्लास का समय है।
एक कठिन समय से निकलकर हम आगे बढ़ रहे हैं, थोड़ी सी लापरवाही हमारी गति को रोक सकती है, हमारी खुशियों को धूमिल कर सकती है। जीवन की ज़िम्मेदारियों को निभाना और सतर्कता ये दोनो साथ साथ चलेंगे तभी जीवन में ख़ुशियाँ बनी रहेंगी। दो गज की दूरी, समय-समय पर साबुन से हाथ धुलना और मास्क लगाना इसका ध्यान रखिए। और मैं आप सबसे करबद्ध प्रार्थना करना हूँ आपको मैं सुरक्षित देखना चाहता हूँ, आपके परिवार को सुखी देखना चाहता हूँ। ये त्योहार आपके जीवन में उत्साह और उमंग बढ़े ऐसा वातावरण चाहता हूँ और इसलिए मैं बार-बार हर देशवासी से आग्रह करता हूँ।
मैं आज अपने मीडिया के साथियों से भी, सोशल मीडिया में जो सक्रिय हैं उन लोगों से भी बड़े आग्रह से कहना चाहता हूँ कि आप जागरूकता लाने के लिए इन नियमों का पालन करने के लिए जितना जन जागरण अभियान करेंगे ये आपकी तरफ से देश की बहुत बड़ी सेवा होगी। आप जरूर हमें साथ दीजिए, देश के कोटि-कोटि जनों को साथ दीजिए।
मेरे प्यारे देशवासियों स्वस्थ्य रहिए, तेज गति से आगे बढ़िए और हम सब मिलकर के देश को आगे बढ़ाए। इन्हीं शुभकामनाओं के साथ नवरात्र, दशहरा, ईद, दिपावली, छठ पूजा, गुरूनानक जयंती समेत सभी त्योहारों की सभी देशवासियों को एक बार फिर से बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।
धन्यवाद!
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