क्या है बाल श्रम
छोटे छोटे बच्चों को मेहनत का काम करवाया जाता है और इसके बदले में उनको कुछ पैसे दिए जाते है। कई जगह बिना भुगतान के ही बच्चों से मजदूरी करवाई जाती है। बाल श्रम केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, यह एक वैश्विक घटना है। भारतीय संविधान के अनुसार किसी उद्योग, कल-कारखाने या किसी कंपनी में मानसिक या शारीरिक श्रम करने वाले 5 से 14 वर्ष उम्र के बच्चों को बाल श्रमिक कहा जाता है। छोटे बच्चों को काम करना गैरकानूनी है।
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चार साल में बाल श्रमिकों की संख्या हो गई 1.6 करोड़
एक रिपोर्ट के दुनिया भर में पिछले चार साल में बाल श्रमिकों की संख्या 84 लाख से बढ़ कर 1.6 करोड़ तक हो गई है। आईएलओ की रिपोर्ट के मुताबिक 5 से 11 साल की उम्र के बाल श्रम में पड़े बच्चों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। अब इन बच्चों की संख्या कुल बाल श्रमिकों की संख्या की आधी से ज्यादा हो गई है। वहीं 5 से 17 साल तक के बच्चे जो खतरनाक कार्यों के संलग्न हैं वे साल 2016 से 65 लाख से 7.9 करोड़ तक हो गए हैं।
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भारत में बाल श्रम निषेध दिवस
अपने देश में बाल श्रम व्यापक स्तर पर देखने को मिलता है। सबसे खास बात बाल श्रम के साथ मजदूरी के लिए बच्चों की तस्करी भी की जाती है। इस मामले केंद्र और राज्य सरकारें अपने अपने स्तर पर कई प्रकार कार्य कर रहे है। साल 1986 में बालश्रम निषेध और नियमन अधिनियम पारित किया गया। इस अधिनियम के तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से श्रम कराना गैर-क़ानूनी घोषित किया गया है। इसके साथ ही भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 बच्चों को खतरनाक उद्योग और कारखानों में काम करने की अनुमति नहीं देता है। जबकि धारा 45 के अंतर्गत देश के सभी राज्यों को 14 साल से कम उम्र के बच्चों को मुफ्त शिक्षा देना अनिवार्य किया गया है।
दुनिया से बालश्रम को खत्म करना आसान नहीं
5 से 17 आयु वर्ग के कई बच्चे ऐसे काम में लगे हुए हैं जो उन्हें सामान्य बचपन से वंचित करते हैं। दुनिया से बालश्रम को खत्म करना आसान नहीं है। इसका सबसे बड़ा कारण आर्थिक अपराध के साथ सामाजिक समस्या भी है। इतना ही नहीं बच्चों के जीवन तक से खिलवाड़ होता है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने कहा है कि बाल श्रम पीढ़ियों की बीच की गरीबी को बढ़ाता है, राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं को चुनौती देता है और बाल अधिकार समझौते के द्वारा गारंटी के तौर पर दिए अधिकारों को कमजोर करने का काम करता है।